Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
+8 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी -
मुलाछाखियाइबा, वालुकीछाल्लियाइवा, कारल्लयछालियाइवा, एवामेव० ॥ ३८ ॥ धन्नस्स अणगारस्स सीस्स अयमेवरूवे से जहा नामए-तरुणगलाउएतिवा, तरुणगए लालुयाइवा, सिण्हालएइवा, तरुणाए छिन्न जाव मिलाएमाणी चिटुंति एवामेवधन्नास अणगारस्स सीसं मुक्कं भुक्खं लूक्खं निमंसं अट्टि चम्म छिरत्ताए पन्नायंति नोचेवणं मंस सोणियत्ताए॥३९॥ एवं सवत्थमेव णवरं उदरभायणं, कन्ना, जिहा, उट्टा, एसिं अट्टि नभणंति, चम्मछिरत्ताए पन्नायंति इति भणंति ॥४०॥ धन्नणं अणगारे
सुक्केणं भुक्खणं पाय जंघारुणाविगत तडिकरालेणं कडिकडिहिणं पिट्ठ मणुस्सिएणं इस प्रकार ॥ ३७ ॥ धमा अनगार के कान मूले की छाल, खरबुजे की छाल, करेसे की । छाल, इस प्रकार ॥ ३८ ॥ धन अनगार का मस्तक यथा दृषान्त तरून कोले का फल, तुम्बे सिल्हाकंद तरूनपने में जैसा होता है इस प्रकार का पन्ना अनगार का मस्तक सूका लूखा मांस रहित अस्तिका चमडे कर चेष्टित था निश्चय से मांस और रक्त या उस में नहीं था।॥ ३९ ॥ इस प्रकार सर शरीर जानना निसमें इतना विशेष, उदर, कान, जिव्हा, होष्ट, इतने स्थान में अस्थि(हड्डी) नहीं कहना परन्तु चमडे ।
का वर्णन करना ॥४०॥ धन्ना अनगार का शरीर सूकगया भुक्ष हुवा लूक्खा होगया, पाव नपा साधला *सह शरीर शुक्क तप से, उठते बैठते करड २ शब्द करने लगा, पृष्ट भाग मांस लोही रहित उदर माजमा
.प्रकाशक राजावहादुर लालामुख
जी ज्वालाप्रसादनी
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org