Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 36
________________ चेवणं मंस सोणियत्ताए॥ १९ ॥ धन्नरस अणगारस्स पायंगुलीयाणं अयमेयारवे से जहा नामए कलसंगलियाइवा मुग्ग-माससंगलियाईवा, तरुणिया छिण्णा उण्हेदिण्णा सुक्कासमाणी मिलायमाणी चिटुंति, एवामेव धन्नस्स अणगारस्स पायंगुलिया सुक्काओ जाव णो मंससोणिएतए॥ २०॥ धन्नासणं अणगारस्स जंघाणं अयमेया रूवे-से जहा नामए-काकजंघाइवा, ढेणियालियजंघाइवा, जाव णो सोणियात्तए ॥२१॥ धन्नस्सणं जाणूणं अयमेयारूवे से जहा नामए-कालीपोरेइवा, मयुरपोरेइवा, ढिणिया लिया पोरेइवा, एवं जाव णो सोणियात्तए ॥ २२ ॥ धण्णस्सउरु से जहा नामए. TE आस्थि (जी) चमडा नशा जाल देखाती थी किन्तु मांस और रक्त करके रहित ये ॥ १९ ॥ धमा अनगार की पांव की अंगुलीयों इस प्रकार की थी-यथादृष्टन्त-तूअर की फली, मूंग की फली, उडद/a की फली, इन फलीयों को हरेपने में कच्चेपने में ही छेदन कर धूप के ताप में सुकाने से कुमलाकर प्रकार देखाती है, इस प्रकार धना अनगार की पांव की अंगुलियों सूकी यावत् मांस रक्त रहित थी ॥ २० ॥धमा अनगार की पांव की जंघा { पीडी] इस प्रकार यथादृष्टान्त काग की जंघा जैसी, दांक पक्षी की जंघा जैसी, यावत् रक्त मास रहित थी॥२१॥ धना अनगार के जानु [ घुटने ] यथादृष्टान्त, काग के दौचन, मयुर के हींचन, ढांक के बचन इस प्रकार थे यावत् मांस रक्त रहित के ॥२२॥ पवार 403 अनुवादक-चालनमगरी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी + प्रकाशक-राजाबहादुर काला मुखदेवस जी ज्वालाप्रसादजी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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