Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 25
________________ सूत्र अर्थ जइणं भंते! समगेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइय दसाणं दो बरस वग्गस्स तेरस्स अययणा पण्णत्ता, दोच्चरणं भंते ! वग्गस्स पढम अज्झयणस्स जाव संपत्तणं के अट्ठे पण्णत्ते? ॥*॥ एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहेणयरे गुणसिले चेईए, सेणिएराया, धारणीदेवी, सिहे सुमिणे जहा जाली तहा जम्मणं, बावलतणं कलाओ, वरं दीह्णे कुमारे सव्ववत्तव्यया, जहा जालिरंस जाव अंतंकरति । १ । एवंतेरस्स चिरायगिहे नयरे सेणिए पिया, धारिणी माया, तेरस्सण्हंचि सोलस्तवासाए परियायं मासीयाए संलेहणाए आणुपुथ्वी उबवाओ विजय दोण, विजयं ते दोणि, जयंतेदोणि, अपराजिते दोणि, | दूसरे वर्ग के तेरे अध्ययन कहे तो दूसरे वर्ग के प्रथम अध्ययन का क्या अर्थ कहा ? ॥ ● ॥ यों निश्चय हे जम्बु ! उस काल उस समम में राजगृही नगरी, गुनसिला बाग, श्रेणिक राजा, धारनी रानी, सिंहका स्वप्न देखा, दीर्घसेन कुपर नामदिया. शेष जैसा जाली कुमार का अधिकार कहा तैसा ( ही सब इसका वालक्रीडा कहना, बहुतर कलापडे, विशेष दीर्घ सेन नामदिया आदि वक्तव्यता जानना. जिस { प्रकार जालि कुमार विजय विमान मे गया तैसे यह भी विजय विमान में गया यावत् महाविदेह से मुक्ति { जावेंगा || १ || इस प्रकार ही तेरही शध्ययन का अधिकार जानना, तेरे ही की राजगृही नगरी, श्रेणिक 4 नवमांग अणुत्तराववाई दशांग सूत्र Jain Education International For Personal & Private Use Only 44 द्वितीय वर्गका दशम अध्ययन 4 १५ www.jainelibrary.org

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