Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ २ MA R ...ALLLLLLLL ..... ...................HALA L AM VEERescrescesIRTEREIGEECISCESSISE-CONGREEEEEEEEEEEEEEECTRESEARCROSERIESRCISEARCH . CREENDARA T H KissTHANTHEMIARIEmaabee - ॥ नवमम्-अणुत्तरोववाई दशाड़ सूत्रम् ॥ * प्रथम-वर्ग * तेणं कालेणं, तेणे समएणं, रायगिहे णाम णयर होत्था, सेणियनाम राया होत्था, चेलणा. देवीए गुणसिलाए चेइए वण्णआ॥ ॥ तेणंकालेणं तेणसमएणं रायगिहे नयरे, अजसुहम्मणामत्थरे समोसरिए, परिसाणिग्गया धम्मकहिओ परिसापडिगया ॥ २ ॥ जंबू जाव पज्जुबासई एवं बयासी-जइणं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अर्थ/3 है उसकाल उससमयमें रामगृही नगरीमें श्रेणिक राजा राज्य करता था,उसकी चेलना नाम की राणी थी, ईशान 15फोन में गुलसिला नामक वागया।।२।।उसकाल उससमयमें गुनासला पागमें आर्य सुधर्मा स्वामीजी पधारे,परिषदा, चन्दने आइ, धर्म कथासुनाइ, परिषदा पीजी गई ॥२॥ भार्य जंबू स्वामी आर्य सुधर्मा स्वामी को वंदना | नवमांग-अणुचरोववाई दशाम सूत्र 488 प्रथम-वर्या प्रथम बचपन - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52