Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ [ 11 प्रथम वर्ग ] शेष नौ अध्ययनों का वर्णन भी इसी प्रकार का है। विशेषता इतनी है कि धारिणी रानी के सात पुत्र हैं / वेहल्ल और वेहायस चेलना के पुत्र हैं / अभय नन्दा का पुत्र है / आदि के पाँच कुमारों का थमण-पर्याय सोलह-सोलह वर्ष का है, तीन का श्रमण-पर्याय बारह वर्ष का है, तथा दो का श्रमण-पर्याय पाँच वर्ष का है। आदि के पाँच अनगारों का उपपात-जन्म अनुक्रम से विजय, वैजयन्त जयन्त अपराजित और सर्वार्थसिद्ध विमान में हुआ है / दीर्घदन्त सर्वार्थसिद्ध में उत्पन्न हुआ / शेष उत्क्रम से अपराजित आदि में उत्पन्न हुए तथा अभय विजय विमान में उत्पन्न हुअा / शेष वर्णन प्रथम अध्ययन के समान समझ लेना चाहिए। अभय की विशेषता यह है कि राजगृह नगर, पिता राजा श्रेणिक और माता नन्दादेवी है। शेष वर्णन उक्त प्रकार से ही है / "जम्वू ! इस प्रकार श्रमण यावत् निर्वाणसंप्राप्त भगवान् महावीर ने अनुत्तरौपपातिकदशा के प्रथम वर्ग का यह अर्थ कहा है।" प्रथम वर्ग समाप्त / विवेचन-इस सूत्र में प्रथम वर्ग के शेष नौ अध्ययनों का वर्णन किया गया है / इनका विषय भी प्रायः पहले अध्ययन के साथ मिलता-जुलता है / विशेषता केवल इतनी है कि इनमें से सात तो धारिणी देवी के पुत्र थे और वेहल्ल कुमार और वेहायस कुमार चेलणा देवी के तथा अभय कुमार नन्दा देवी के उदर से उत्पन्न हुआ था। पहले के पाँचों ने सोलह वर्ष संयम-पर्याय का पालन किया था, तीन ने बारह वर्ष तक और शेष दो ने पाँच वर्ष तक / पहले पांच अनुक्रम से पाँच अनुत्तर विमानों में उत्पन्न हुए और पिछले उत्क्रम से पाँच अनुत्तर विमानों में / यह इन दश मुनियों के उत्कट संयमपालन का फल है कि वे एकावतारी होकर उक्त विमानों में उत्पन्न हुए। सिद्ध यह हुआ कि सम्यक्चारित्र पालन करने का सदैव उत्तम फल होता है। उस फल का ही यहां सुचारु-रूप से वर्णन किया गया है। जो भी व्यक्ति सम्यक्चारित्र का अाराधन करेगा वह शुभ फल से वञ्चित नहीं रह सकता। अतः सम्यक्चारित्र प्रत्येक व्यक्ति के लिये उपादेय है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org