Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 121
________________ 88] [ अनुत्तरौपपातिकदशा दोच्चस्स- दूसरे पंच-धाति-परिग्गहित= पाँच धाइयों द्वारा ग्रहण दोण्ह-दो का किया हुआ दोन्नि =दो का पगति-भद्दए - प्रकृति से भद्र, सौम्य स्वभाव वाला धष्णस्स = धन्य कुमार या धन्य अनगार का पग्गहियाए = ग्रहण की हुई, स्वीकार की हुई धण्णे (न्ने)-धन्य कुमार या अनगार पज्जवासति-सेवा करता है धण्णे-धन्य है पडिगए = चला गया धण्णो (नो)- धन्य अनगार पडिगो= चला गया धन्न - धन्य कुमार नाम का पडिगता-चली गई धन्नस्स - धन्य कुमार या अनगार का पडिगया- चली गई धम्म-कहा-धर्म-कथा पडिगाहेति ग्रहण करता है धम्म-जागरियं =धर्म-जागरण पडिग्गहित्तते = ग्रहण करने के लिए धम्म-दएणं = श्रु त और चारित्र रूप धर्म देने वाले पडिणिक्खमति = बाहर निकलता है धम्म-देसएणं =धर्म का उपदेश करने वाले / पडिदंसेति = दिखाता है धम्म-वर-चाउरत-चक्कवट्टिणा = उत्तम चारों पडिबंध - प्रतिबन्ध, विघ्न, देरी दिशाओं पर अखंड शासन करने वाले उत्तम पढम-छट्ठ-क्खमण-पारणगंसि पहले षष्ठ व्रत धर्म के चक्रवर्ती (वेले) के पारण में धारिणी= श्रेणिक राजा की एक रानी पढमस्स = पहले धारिणी-सुपा-धारिणी देवी के पुत्र पढमाए = पहली नंदादेवी = इस नाम वाली रानी पढमे = पहले (अध्ययन) में नगरी=नगरी पण्णग-भूतेणं = सर्प के समान नगरीए = नगरी में पण्ण (न्न) त्ता प्रतिपादन किये हैं नगरे नगर पण्ण (न) त्ते = प्रतिपादन किया है, कहा है नव = नौ पण्णा (ना) यति = पहचाने जाते हैं नवण्हं = नौ की पत्त-चीवराई पात्रों और वस्त्रों को नवण्हवि = नौवों की पयययाए=अधिक यत्न वाली नवमस्स = नौवें का परिनिव्वाण-वत्तियं - मृत्यु के उपलक्ष्य में किया नव-मास-परियातो- नौ महीने की संयमवृत्ति जाने वाला नवमे = नौवाँ परियातो= संयम अवस्था या साधु-वृत्ति नवमोनौवाँ परिवसइ(ति) = रहता है(थी) नवरं= विशेषता-सूचक अव्यय परिसा परिषद्, श्रोतृ-समूह नाम नाम वाला पलास-पत्ते = पलाश (ढाक) का पत्ता नासाए - नासिका की, नाक की पव्वइ(ति)ते प्रवजित हुआ निसम्म = ध्यानपूर्वक सुनकर पव्वयामि = प्रवजित हुआ हूँ, दीक्षा ग्रहण करता हूँ पंच-पांच पव्वाय-बदण-कमले = जिसका मुख-कमल पंचण्हं पाँच का मुरझा गया हो पंच-धाति-परिक्खित्तो - पाँच धाइयों से घिरा हुआ पाउणित्ता - पालन कर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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