Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 97
________________ 64 ] [ अनुत्तरौपपातिकदशा काकन्दी नगरी के बाहर 'सहस्राम्रवन' नाम का एक सुन्दर उद्यान था। भगवान् का समवसरण यहीं पर लगा था / धन्य अनगार की दीक्षा भी इसो उद्यान में हुई थी। 'वर्तमान में, गोरखपुर से दक्षिण-पूर्व तीस मील पर और ननखार स्टेशन से दो मील पर, कहीं काकन्दी रही होगी।' सहस्संबवण सहस्राम्रवन / अागमों में इस उद्यान का प्रचुर उल्लेख मिलता है। काकन्दी नगरी के बाहर भी इसी नाम का एक सुन्दर उद्यान था, जहां पर धन्यकुमार और सुनक्षत्रकुमार की दीक्षा हुई थी। सहस्राम्रवन का उल्लेख निम्नलिखित नगरों के बाहर भी आता है:१. काकन्दी के बाहर / 2. गिरनार पर्वत पर। 3. काम्पिल्य नगर के बाहर / 4. पाण्डु मथुरा के बाहर / 5. मिथिला नगरी ने बाहर। 6. हस्तिनापुर के बाहर-अादि जितशत्रु राजा ___ शत्रु को जीतने वाला / जिस प्रकार बौद्ध जातकों में प्रायः ब्रह्मदत्त राजा का नाम आता है, उसी प्रकार जैन-ग्रन्थों में प्रायः जितशत्रु राजा का नाम आता है / जितशत्रु के साथ प्रायः धारिणी का भी नाम आता है। किसी भी कथा के प्रारम्भ में किसी न किसी राजा का नाम बतलाना, कथाकारों की पुरातन पद्धति रही है। __ इस नाम का भले ही कोई एक राजा न भी हो, तथापि कथाकार अपनी कथा के प्रारम्भ में इस नाम का उपयोग करता है। वैसे जैन साहित्य के कथा-ग्रन्थों में जितशत्रु राजा का उल्लेख बहुत पाता है। निम्नलिखित नगरों के राजा का नाम जितशत्रु बताया गया हैनगर राजा 1. वाणिज्य ग्राम जितशत्रु 2. चम्पा नगरी 3. उज्जयनी 4. सर्वतोभद्र नगर 5. मिथिला नगरी 6. पांचाल देश 7. प्रामलकल्पा नगरी 8. सावत्थी नगरी 6. वाणारसी नगरी 10. पालभिया नगरी 11. पोलासपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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