Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 79
________________ द्वितीय अध्ययन सुनक्षत्र १६---"जइ णं भंते ! जाव" उखेवनो। एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं कायंदी नयरी। जियसत्तू राया। तत्थ णं कायंदीए नयरीए भद्दा नाम सत्यवाही परिवसइ, अट्टा। तीसे णं भद्दाए सत्थवाहीए पुत्ते सुणक्खत्ते नामं दारए होत्था अहीण० जाव' सुरुवे / पंचधाइपरिक्खित्ते, जहा धण्णो तहा बत्तीसओ दाओ जाव' उपि पासायडिसए विहरइ / तेणं कालेणं तेणं समएणं समोसरणं / जहा धण्णो तहा सुणक्खत्तो वि निग्गयो / जहा थावच्चापुत्तस्स तहा निक्खमणं जाव प्रणगारे जाए ईरियासमिए जाव' बंभयारी। तए णं से सूणक्खत्ते अणगारे जं चेव दिवसं समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतिए मुडे जाव' पम्वइए तं चेव दिवसं अभिग्गहं। तहेव जाव' बिलमिव जाव प्राहारेइ, संजमेणं जाव' विहरइ / जाव बहिया जणवय-विहारं विहरह। एक्कारस अंगाई अहिज्जइ जाव' संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ / तए णं से सुणक्खत्ते तेणं उरालेणं जाव१२ जहा खंदो। जम्बू अनगार ने आर्य सुधर्मा से पूछा:-भन्ते ! यदि श्रमण भगवान् महावीर ने तीसरे वर्ग के प्रथम अध्ययन का यह (पूर्वोक्त) अर्थ कहा है तो दूसरे अध्ययन का क्या अर्थ कहा है ? आर्य सुधर्मा ने जम्बू से इस प्रकार कहा-हे जम्बू ! उस काल और उस समय में काकन्दी नाम की एक मगरी थी / वहाँ का राजा जितशत्रु था। उस काकन्दी नगरी में भद्रा नाम की एक सार्थवाही रहती थी। वह सम्पन्न यावत् अपरिभूता थी। उस भद्रा सार्थवाही के सुनक्षत्र नाम का एक पुत्र था। वह अहीन अंगोपांग वाला यावत् सुरूप था। पञ्चधात्रीपरिपालित था / धन्यकुमार की तरह उसे भी वत्तीस का दहेज दिया गया यावत् वह महलों में भोगों में लीन होकर रहने लगा। उस काल और उस समय में भगवान् महावीर वहाँ पधारे। धन्यकुमार की तरह सुनक्षत्र भी धर्मदेशना श्रवण करने के लिए निकला। यावच्चापुत्र की तरह निष्क्रमण हुआ यावत् वह अनगार हो गया। ई-समित यावत् ब्रह्मचारी हो गया। अनन्तर वह सुनक्षत्र, जिस दिन भगवान् महावीर के पास मुण्डित हुआ यावत् प्रव्रजित हुआ उसी दिन उसने अभिग्रह (प्रतिज्ञा) किया, यावत् अनासक्त होकर प्राहार किया। संयम में यावत् स्थिर होकर विचरण किया। बाहर जनपदों में विहार किया। ग्यारह अङ्गों का अध्ययन किया। 1. अणुत्तरोववाइय दशा वर्ग 1, सूत्र 2. 3. अणुत्तरोववाइय दशा वर्ग 3, सूत्र 2,3 5. अणुत्तरोववाइय दशा वर्ग 3, सूत्र 5. 7-8. अणुत्तरोववाइय दशा वर्ग 3, सूत्र 7. 10. अणुत्तरोवया इय दशा वर्ग 3, सूत्र 9. 12. अणुत्तरोववाइय दशा वर्ग 3, सूत्र 9. 2. अणत्तरोववाइय दशा वर्ग 3, सूत्र 2. 4. अणुत्तरोववाइय दशा वर्ग 3, सूत्र 4-5. 6. अणत्तरोववाइय दशा वगं 3, सत्र 5. 9. अणत्तरोव वाइय दशा वर्ग 3, सूत्र 7. 11. अणुत्तरोववाइय दशा वर्ग 3. सूत्र 9. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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