Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 5
________________ भगवा : श्री म.सा. ३. स्थानवासी न शासोद्धार समिति, हैं. १३डिया पारा, श्रीन पासे, सो , (सौराष्ट्र ). Published by : Shri Akhil Bharat S. S. Jain Shastroddhara Samiti, Garedia Kuva Road, RAJKOT, (Saurashtra), W. Ry, India. ये नाम केचिदिह नः प्रथयन्त्यवज्ञां, जानन्ति ते किमपि तान् पति नैष यत्नः । उत्पत्स्यतेऽस्ति मम कोऽपि समानधर्मा, कालो ह्ययं निरवधिविपुला च पृथ्वी ॥१॥ हरिगीतच्छन्दः करते अवज्ञा जो हमारी यत्न ना उनके लिये। जो जानते हैं तत्व कुछ फिर यत्न ना उनके लिये ॥ जनमेगा मुझसा व्यक्ति कोई तत्त्व इससे पायगा । है काल निरवधि विपुल पृथ्वी ध्यान में यह लायगा ॥१॥ भूयः ३. २५%300 પ્રથમ આવૃત્તિ: પ્રત ૧૨૦૦ વીર સંવત ઃ ૨૪૮૯ विभ संवत् : २०१८ इसवीसन १८१३ मुद्र: મણિલાલ છગનલાલ શાહ નવપ્રભાત પ્રિન્ટિંગ પ્રેસ, घोsiel : AHILE શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાગ સૂત્ર : ૦૨

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