Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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भगवई - १६/-/६/६७४
३४०
भगवं गोयमं एवं वयासी एवं खलु गोयना तेणं कालेणं तेणं समएणं महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे दो देवा महिड्ढिया जाव महेसक्खा एगविमाणंसि देवताए उववत्रा तं जहा- मायिमिच्छदिउववत्रए य अमायिसम्मदिट्ठिउववत्रए व ए णं से मायिमिच्छदिवियन्नए देवे तं अमायिसम्मदिविवन्नगं देवं एवं वयासी- परिणममाणा पोग्गला नो परिणया अपरिणया परिणमंतीति पोग्गला नो परिणया अपरिणया तए णं से अमायिसम्मदिविउववत्रए देवे तं मायिमिच्छदिडिडववत्रगं देवं एवं वयासी - परिणममाणा पोग्गला परिणया नो अपरिणया परिणमंतीति पोग्गला परिणया नो अपरिणया तं मायिमिच्छदिविउववन्नगं एवं पडिहणइ पडिणित्ता ओहिं पउंजइ परंजिता ममं ओहिणा आभोएइ आभोएत्ता अयमेयारूये [ अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे] समुप्यञ्जित्था एव खलु समणे भगवं महावीरे जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे उल्लुयतीरस्स नगरस्सं बहिया एगजंबुए चेइए अहापडिरूवं जाव विहरइ तं सेयं खलु मे समणं भगवं महावीरं वंदित्ता जाव पज्जुवासित्ता इमं एयारूवं वागरणं पुच्छित्तए त्ति कट्टु एवं संपेहेइ संपेहेत्ता चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं [तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अणिएहिं सत्तहिं अणियाहिवईहिं सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं अण्णेहिं बहूहिं महासामाणविमाणवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि यसद्धिं संपरिबुडे जाव दुंदुहि-निग्घोसनाइयरवेणं जेणेव जंबुद्दीवे दीवे जेणेव भारहे वासे जेणेव उल्लुयतीरे नगरे जेणेव एगजंबुए चेइए जेणेव ममं अंतियं तेणेव पहारेत्थ गमणाए तए णं से सक्के देविंदे देवराया तस्स देवस्स तं दिव्वं दिवड्ढि दिव्वं देवजुत्तिं दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं तेयलेस्सं असहमाणे ममं अट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाई पुच्छित्ता संभंतियवंदणएणं वंदित्ता जाव पडिगए । ५७५/-574
(६७५) जावं च णं समणे भगवं महावीरे भगवओ गोयमस्स एयमट्ट परिकहेति ताच च णं से देवे तं देहव्यमागए तए गं से देवे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण -पयाहिणं करेइ करेत्ता यंदइ नमसइ वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी एवं खलु भंते महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे एगे मायिमिच्छदितिवचनए देवे ममं एवं वयासी- परिणममाणा पोग्गला नो परिणया अपरिणया परिणमंतीति पोग्गला नो परिणया अपरिणया तए णं अहं तं मायिमिच्छदिट्ठिउववत्रगं देवं एवं बयासी - परिणममाणा पोग्गला परिणया नो अपरिणया परिणमंतीति पोग्गला परिणया नो अपरिणया से कहमेयं भंते एवं गंगदत्तादि समणे भगवं महावीरे गंगदत्तं देवं एवं बयासी अहं पिणं गंगदत्ता एवम इक्खामि भासेमि पण्णवेपि परूवेपि परिणममाणा पोग्गला [ परिणया नो अपरिणया परिणमंतीति पोग्गला परिणया नो अपरिणया सचमेसे अट्ठे तए णं से गंगदत्ते देवे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं एयमहं सोचा निसम्म हट्ठतुडे समणं भगवं महावीरं बंदइ नमसइ वंदित्ता नमसित्ता नञ्चासत्रे जाव पजुवासति तए णं समणे भगवं महावीरे गंगदत्तस्स देवस्स तीसे य [महतिमहालियाए परिसाए] धम्मं परिकहेइ जाव आराहए भवति तए णं से गंगदत्ते देवे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्ठतुट्टे उडाए उडेइ उट्ठेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमसित्ता एवं व्यासी- अहण्णं मंते गंगदत्ते देवे किं भवसिद्धिए अवसिद्धिए [सम्मदिडी मिच्छदिट्ठी परित्तसंसारिए अनंतसंसारिए सुलभबोहिए दुल्लमबोहिए आराहए विराहए चरिमे अचरिमे गंगदत्ताइ समणे मगवं महावीरे गंगदत्तं देवं एवं व्यासी-गंगदत्ता तुमण्णं भवसिद्धिए नो अभवसिद्धिए सम्पदिडी नो मिच्छदिट्टी परित्तसंसारिए नो अनंतसंसारिए
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