Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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४००
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त इ ओ-व ग्गो
( ८३२) अह भंते आय-काय - कुहुण- कुंदुरुक्क उव्वेहलिया सफा-सज्जा छत्ता वंसाणियकुराणं- एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा निरवसेसं जहा आलुवग्गी नवरं - ओगाहणा तालवग्गसरिसा सेसं तं चैव सेवं भंते सेवं मंते त्ति । ६९३-३1-693-3 ● तेवीसइमे सते तइओ बग्गी समतो च उ त्यो-व ग्गो
(८३३) अह भंते पाढा -मियवालंकि मधुररसा-रायवल्लि - पउमा-मोढरि- दंति-चंडीणं-एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एवं एत्थ वि मूलादिया दस उद्देसगा आलुयवग्गसरिसा नवरं - ओगाहणा जहा वल्लीणं सेसं तं चेव सेवं भंते सेवं भंते ति । ६९३-४1-693-4
• तेवीसहमे सते चउत्यो वष्णो समत्तो •
पंच मो-व ग्गो 5
(८३४) अह भंते मासपण्णी- मुग्गपण्णी- जीवग-सरिसव करेणुय का ओलि खीरकाकोलिभंगि-हि-किमिरासि भद्दमुत्य - नंगलइ - पयुय - किण्हा पउल - हढ - हरेणुया - लोहीणं-एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एवं एत्य वि दस उद्देसगा निरवसेसं आलुयवग्गसरिसा एवं एत्थ पंचसु वि army पन्नासं उद्देगा भाणियव्या सव्वत्य देवा न उववज्रंति तिण्णि लेसाओ सेवं भंते सेवं भंते ति । ६९३-४१- १६९३।-6934693
• तेवीसइये सते पंचमो वग्गो समत्तो तेवीसह सतं समत्तं
चवीसइमं सतं
पढ मोउ द्दे सो
( ८३५) उचचाय परीमाणं संघवणुच्चत्तमेव संठाणं लेस्सा दिट्ठी नाणे अन्नाणे जोग उवओगे (८३६) सण्णा कसाय इंदिय समुग्धाया वेदणा य वेदे य आउं अज्झवसाणा अनुबंधो कायसंवेहो (८३७) जीवपदे जीवपदे जीवाणं दंडगम्नि उद्देसो
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भगवई - २३/३/-/८३२
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॥९०॥-1
118911-2
चउवीसतिमम्मि सए चउव्वीसं होति उद्देसा
॥९२॥१-३
(८३८) रायगिहे जाव एवं व्यासी-नेरइया णं भंते कओहिंतो उववज्रंति-किं नेरइएहिंतो उववज्रंति तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्रंति मणुस्सेहिंतो उववज्रंति देवेहिंतो उववज्रंति गोयमा नो नेरइएहिंतो उबवज्रंति तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्रंति मनुस्सेहिंतो वि उववज्रंति नो देवेर्हितो उववज्रंति जइ तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्रंति- किं एगिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्रंति जाय पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्रंति गोयमा नो एगिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्रंति नो बेइंदिय नो तेइंदिय नो चउरिदिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्रंति जइ पंचिदिय- तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्रंति किं सष्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्र्ज्जति असण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्रंति गोयमा सग्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिहिंतो उववज्रंति असण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो वि उवबजंति जइ असष्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्रंति- किं जलचरेहिंतो अववज्रंति थलचरेहिंतो उववज्जति खहचरेहिंतो

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