Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 477
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४६८ भगवई - २६/-/९७८ जाव थणियकुमारस्स एवं पुढविकाइयस्स वि आउकाइयस्स वि जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स वि सव्वस्थ वि पढम-वितिया भंगा नवरं-जस्स जा लेस्सा दिट्ठी नाणं अण्णाणं वेदो जोगो य अत्यि तं तस्स भाणियध्वं सेसं तहेव मणूसस्स जच्चेव जीवपदे वत्तव्वया सन्चेव निरवसेसा भाणियव्दा वाणमंतरस्स जहा असुरकुमारस्स जोइसियस्स वेमाणियस्स एवं चेव नवरं-लेस्साओ भाणियव्याओ सेसं तहेव भाणियब्वं ।८१३1-812 (९७९) जीवे णं भंते नाणावरणिजं कम्मं किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ एवं जहेव पावकमस्स वतव्वया तहेव नाणावरणिजस्स वि भाणियव्वा नवरं-जीवपदेस मणुस्सपदे य सकसाइम्मि जाव लोमकसाइम्मि य पढम-बितिया भंगा अवसेसं तं चेव जाव देमाणिया एवं दरिसणावरणिज्जेण वि दंडगो भाणियव्यो निरवसेसोजीवेणं भंते वेयणिज्ज कम्मं किं बंधी-पुच्छा गोयमा अत्यंगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्येगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ अत्थेगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ सलेस्से वि एवं चेव ततियविहूणा भंगा कण्हलेस्से जाव पम्हलेस्से पढम-वितिया भंगा सुक्कलेस्से ततिपविहूणा भंगा अलेस्से चरिमो भंगो कण्हपक्खिए पढम-बितिया सुक्कपक्खिया ततिय विहूणा एवं सम्मदिहिस्स वि मिच्छादिट्टीस्स सम्मामिच्छादिविस्स य पढमबितिया नाणिस्स ततियविहूणा आभिणिबोहियनाणी जाव मणपञ्जवनाणी पढम-बितिया केवलनाणी ततियविहूणा एवं नोसण्णोवउत्ते अवेदए अकसायी सागारोवउत्ते अणागारोवउत्ते-एएस ततियविहणा अजोगिम्मि य चरिमो सेसेसु पढम-बितिया नेरइए णं भंते वेयणिज्ज कप कि बंधी बंधइ एवं नेरइया जाव येमाणिय त्ति जस्सजं अस्थि सव्वस्थ विपढम-बितिया नवरं-पणस्से जहा जीये, जीवेणं मंते पोहणिनं कम्मं कि बंधी बंधइजहेव पावं कमंतहेव मोहणिलं पि निरवसेसं जाव वेमाणिए।८१४4813 (९८०) जीवेणं भंते आउयं कम्मं किं बंधी बंधइ-पुच्छा गोयमा अत्येगतिए वंधी चउभंगो सलेस्से जाद सुक्कलेस्से चत्तारि भंगा अलेस्सेचरिमो भंगो कण्हपक्खिओ णं-पुच्छा गोयमा अत्यंगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्यतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ सुक्कपक्खिए सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी चत्तारि मंगा सम्मामिच्छादिट्ठी-पुछा गोयमा अत्येगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ अत्येगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ नाणी जाव ओहिनाणी चत्तारि भंगा मणपज्जवनाणी-पुच्छा गोयमा अत्धेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्येगतिए बंधी न बंघइ बंधिस्सइ अत्यंगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ केवलनाणे चरिमो भंगो एवं एएणं कमेणं नोसण्णोवउत्ते बितियविहूणा जहेव मणपजवनाणे अवेदए अकसाई य ततिय-चउत्या जहेव सम्मामिच्छत्ते अजोगिम्मि चरिमो सेसेस पदेसु चत्तारि भंगा जाव अणागारोवउत्ते नेरइए णं मंते आउयं कम्मं किं बंधी-पुच्छा गोयमा अत्येगतिए चत्तारि भंगा एवं सव्वस्थ वि नेरइयाणं चत्तारि भंगा नवरं कण्हलेस्से कण्हपरिखए य पढम-ततिया भंगा सम्मामिच्छते ततियचउत्या असुरकुमारे एवं चेव नवरं-कण्हलेस्से वि पत्तारि भंगा माणियव्या सेसं जहा नेरइयाणं एवं जाव थणियकुमाराणं पुढविक्काइयाणं सव्वत्य वि चत्तारि भंगा नवरं-कण्हपक्खिए पढम-ततिया भंगा तेउलेस्से पूछा गोयमा बंधी न बंधइ बंधिस्सइ सेसेसु सव्वत्थ चत्तारि भंगा एवं आउक्काइय-वणस्सइकाइयाण वि निरवसेसं तेउकाइय-याउक्काइयाणं सव्यत्य वि पढम-ततिया भंगा बेइंदिय-चउरिदियाणं पि सव्वस्थ वि पढम-ततिया भंगा नवरं सम्मते नाणे आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे ततिओ मंगो पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं कण्हपक्खिए पढम-ततिया मंगो पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं कण्हपक्खिए For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514