Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 484
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सतं- ३०, उद्देसो-१ पकरेति नो देवाउयं तिरिक्खजोणियाउयं पि एकरेति मणुस्साउयं पि पकरेति नो देवाउयं पकति एवं अण्णाणियवादी वि वेणइयवादी वि, सलेस्सा णं भंते नेरइया किरियावादी किं नेरइयाउयं एवं सच्चे वि नेरइया जे किरियावादी ते मणुस्साउयं एवं पकरेति जे अकिरियाबादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी ते सच्चट्ठाणेसु वि नो नेरइयाज्यं पकति तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति मणुस्साञ्चयं पिपकरेति नी देवाउयं पकरेति नवरं सम्मामिच्छत्ते उवरिल्लेहिं दोहि वि समोसरणेहिं न किंचि वि पकरेंति जहेब जीवपदे एवं जाव यणियकुमारा जहेव नेरइया अकिरियाबादी णं भंते पुढविक्काइया - पुच्छा गोयमा नो नेरइरयाउयं पकरेति तिरिक्खजोणियाज्यं पकरेति मणुस्साउयं पकरेति नी देवाउयं पकरेंति एवं अण्णाणियावादी वि सलेस्सा णं भंते एवं जं जं पदं अस्थि पुढविकाइयाणं तहिं तहिं मज्झिमेसु दोसु समोसरणेषु एवं चैव दुविहं आउयं पकरेति नवरंतेउलेस्साए न किंपि पकरेति एवं आउक्काइयाण वि वणस्सइकाइयाण वि तेउक्काइआ बाउकाइया सव्वद्वाणेसु मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु नो नेरइयाज्यं पकरेति तिरिक्खजोणियाउवं पकरेति नो मणुस्साउयं पकरेति नो देवाउयं पकरेति बेइंदिय-तेइंदिय- चउरिदियागं जहा पुढविकाइयाणं नवरं सम्पत्त-नाणेसु न एक्कं पि आउयं पकरेति, किरियावादी णं भंते पंचिंदियतिरिक्खजोषिया किं नेरइयाउयं पकरेति पुच्छा गोयमा जहा मणपजवनाणी अकिरियावादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी व चउव्विहं पि पकरेति जहा ओहिया तहा सलेस्सा वि कण्हलेस्सा णं भंते किरियावादी पंचिंदियतिरिक्खजोणिया किं नेरइयाउयं पुच्छा गोयमा नो नेरइयाउयं पकरेंति नो तिरिक्खजोणिवाउयं नो मणुस्साउयं नो देवाउयं पकरेति अकिरियावादी अण्णाणिबावादी वेणइयवादी चउव्विहं पि पकरेंति जहा कण्हलेस्सा एवं नीललेस्ता वि काउलेस्सा वि तेउलेस्सा जहा सलेस्सा नवरं - अकिरियावादी अण्णाणियावादी वेणइयवादी व नो नेरइयाज्यं पकरेंति तिरिक्खजोणियाउं पि पकरेति मणुस्साउयं पि पकरेंति देवाउयं पि पकरैति एवं पम्हलेस्सा वि एवं सुक्कलेस्सा वि भाणियच्या कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहिं चउव्विहं पि आउयं पकरेंति सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा सम्मदिट्टी जहा मणपजवनाणी तहेव वैमाणियाउयं पकति मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया सम्मामिच्छादिडी ण य एक्कं पि पकरेति जहेव नेरइया नाणी जाव ओहिनाणी जहा सम्मद्दिट्ठी अण्णाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया सेसा जाब अणागारोवउत्ता सच्चे जहा सलेस्सा तहा चैव भाणियव्वा जहा पंचचंदियतिरिक्खजोणियाणं वत्तब्वया भणिया एवं मणुस्साण वि भाणियव्वा नवरं मणपजवनाणी नोसण्णोवउत्ता य जहा सम्मद्दिट्ठी तिरिक्खजोणिया तहेव भाणिवव्या अलेस्सा केवलनाणी अवेदगा अकसायी अजोगी य एएन एगं पि आउयं पकरेति जहा ओहिया जीवा सेसं तहेव वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा ४७५ किरियावादी णं भंते जीवा किं भवसिद्धीया अभवसिद्धीया गोयमा भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया अकिरियाबादी णं भंते जीवा किं भवसिद्धीया पुच्छा गोयमा भवसिद्धीया वि अभवसिद्धीया वि एवं अण्णाणियवादी वि वेणइयवादी वि, सलेस्सा ण भंते जीवा किरियाबादी किं भवसिद्धीया - पुच्छा गोयमा भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया सलेस्सा णं भंते जीवा अकिरियावादी किं भवसिद्धीया - पुच्छा गोयमा भवसिद्धीया वि अभवसिद्धीया वि एवं अण्णाणियवादी वि वेणइयवादी वि जहा सलेस्सा एवं जाव सुक्कलेस्सा अलेस्सा णं भंते जीवा For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514