Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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भगवई - ३२/19/१०१६ बत्तीसइम - सत]
-: प ट मो-3 हे सो:(१०१६) खुड्डागकङजुम्मनेरइया णं भंते अनंतरं उब्बट्टित्ता कर्हि गच्छंति कहिं उबवजंतिकिं नेरइएसु उववनंति तिरिक्खजोणिएम उववर्जति उव्वट्टणा जहा वककंतीए ते ण भंते जीवा एगसमएणं केवइया उव्वदृति गोयमा चत्तारि वा अट्टवा बारस वा सोलस वा संखेजावा असंखेज्ना वा उव्यदृति ते णं भंते जीवा कहं उब्वटुंति गोयमा से जहानामए पवए एवं तहेव एवं सो चेब गमओ जाव आयप्पयोगेणं उव्यदृति नो परप्पयोगेणं उव्वदति रयणप्यभापुढविखुड्डाग- कडजुम्प एवं रयणप्पमाए वि एवं जाव अहेसत्तमाए एवं खुड्डागतेयोग-खुड्डादावरजुम्म खुड्डागकलियोगा नवरं-परिमाणंजाणियब्वं सेसंतं चेव सेवं भंते सेवं भंतेत्ति १८४३1842
बत्तीसहमे सते पठमो उद्देसो सपत्तो.
-: उदेसा-२-२८ :(१०१७) कण्हलेसकडजुम्मनेरइया एवं एएणं कमेणं जहेव उववायसए अट्ठावीसं उद्देसगा भणिया तहेव उव्यदृणासए वि अट्ठावीसं उद्देसगा भाणियव्वा निरवसेसा नवरं-उव्वदृति त्ति अभिलाओ माणियब्धो सेसं तं चेव सेवं मंते सेवं भंते तिजाब विहरइ ।८४४4843
•बत्तीसइमे सत्ते २-२८ उद्देसो समत्ता बत्तीसइमं तत्तं समत्तं.
ते ती स इमं - स तं
卐पटमएनिदियं सतं
-: प ट मो-उ हे सो :(१०१८) कतिविहा णं मंते एगिंदिय पन्नत्ता गोयमा पंचविहा एगिदिया पनत्ता तं जहापुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया पुढविक्काइया णं मंते कतिविहा पनत्ता गोयमा दुविहा पनत्ता तं जहा-सुहमपुढविक्काइया य वादरपुढविक्काइया य सुहमपुढविक्काइया णं भंते कतिविहा पनत्ता गोयमा दुविहा पन्नतातं जहा-पज्जत्तासुहमपुढविक्काइया य अप्पजत्तासुहमपुढविक्काइया य बादरपुढविक्काइया णं मंते कतिविहा पनत्ता एवं चेव एवं आउक्काइया वि घउक्कएणं भेदेणं भाणियव्वा एवं जाव वणस्सइकाइया अपजत्तासुहमपुढविक्काइयाणं भते कति कम्मप्पगडीओ पन्नत्ताओ गोयमा अट्ट कम्पपगडीओ पत्रत्ताओ तं जहा-नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं पज्जत्तासुहुमपुढविक्काइयाणं भंते कति कम्मप्पगडीओ पन्नत्ताओ गोयमा अट्ट कम्मप्पगडीओ पन्नत्ताओ तं जहा-नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं अपजत्तावादरपुढविक्काइयाणं भंते कति कम्मप्पगडीओ पन्नताओ एवं चेव पज्जत्ताबादरपुढविककाइयाणं भंते कति कम्मप्पगडीओ पन्नताओ एवं चेव एवं एएणं कमेणं जाव बादरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तगाणं ति, अप्पञ्जत्तासुहमपुढविककाइयाणं भंते कति कम्पप्पगडिओ बंधंति गोयमा सतविहबंधगा वि अट्ठविहबंधगा वि सत्त बंधमाणा आउयवज्जाओ सत्तं कम्मप्पगडीओ बंधति अट्ठ बंधमाणा पडिपुण्णाओ अट्ठ कम्मप्पगडीओ बंधंति पजत्तासुहमढविककाइया णं मंते कति कम्मप्पगडीओ बंधंति एवं चेव एवं सव्ये जाव- पजत्ताबादरवणस्सइकाइया णं भंते कति कम्मप्पगडीओ बंधति एवं चैव अपज्जत्तासुहमपुडविक्काइया णं भंते कति कप्मप्पगडीओ वेदेति गोयमा चोद्दस कम्मप्पगडीओ वेदेति तं जहा-नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं सोइंदियवझं चक्खिदियवझं
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