Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 488
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४७९ सतं-३१, उदेसो-६ -: छटो-उद्दे सो:(१००८) कण्हलेस्सभवसिद्धीयखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते कओ उववजंति एवं जहेव ओहिओ कण्हलेस्सउद्देसओ तहेव निरवसेसं चउसु वि जुम्मेसु भाणियब्बो जाय-अहेसत्तमपुढवि कण्हलेस्सखुष्टुगकलियोगनेरइया णं मंते कओ उववजंति तहेव सेवं भंते सेवं भंतेत्ति।८३५/-834 .इकतीसइमेसते छट्टो उद्देसो समतो. -: स त पो-उद्दे सो :(१००९) नीललेस्सभवसिद्धीया चउसु वि जुम्मेसु तहेव भाणियव्दा जहा ओहिए नीललेस्सउद्देसए सेवं भंते सेवं भेते ति जाब विहरइ ८३६1835 • इकतीसइमे सते सत्तमो उद्देसो सपत्तो. -: अमो -उ है सो :(१०१०) काउलेस्सभवसिद्धीया चउसु वि जुम्मेसु उववाएयव्या जहेव ओहिए काउलेरसउद्दसए सेवं भंते सेवं भंते त्ति जाव विहरइ।८३७।-836 इकतीसहमे सते अहमो उद्देसो प्तपत्तो. -: उहे सा-९-१२ :(१०११) जहा भवसिद्धीएहिं चत्तारि उद्देसगा भणिया एवं अभवसिद्धीएहिं वि चत्तारि उद्देसगा पाणियव्या जाव काउलेस्सउद्देसओ त्ति सेवं मंते सेवं भंतेत्ति।८३८1-887 इकतीसइमे सते ९-१२ उद्देसा समत्ता. - उहे सा-१३-१६ :(१०१२) एवं सम्मदिट्ठीहि वि लेस्सासंजुत्तेहिं चत्तारि उद्देसगा कायव्या नवरं-सम्मदिट्ठी पढमवितिएसु दोसु वि उद्देसगेसु अहेसत्तसपुढवीए न उववाएयव्वो सेसं तं चेव सेवं भंते सेवं भंते त्ति ८३९/-838 इकतीसइमे सत १३.१६ उद्देसा सफ्ता) - उसा -१७-२०:(१०१३) मिच्छादिट्ठीहि वि चत्तारि उद्देसगा कायया जहा भवसिद्धीयाणं सेवं भंते सेवं मंतेत्ति।८४०।-839 इकतीसइमे सते १९-२० उद्देसा सफ्ता. -: उद्देसा-२१-२४ :(१०१४) एवं कण्हपरिखएहिं वि लेस्सासंजतेहिं चत्तारि उद्देसगा कायव्वा जहेव भवसिद्धीएहि सेवं भंते सेवं भंते त्ति।८४१1-840 .इक्कतीसइमे सते २१-२४ उद्देसा सफ्ता. -: उहे सा-२५-२८ :(१०१५) सुक्कपक्खिएहिं एवं चेव चत्तारि उद्देसगा भाणियव्या जाव वालुयप्पभपुढविकाउलेस्ससुक्कपक्खिखुड्डागकलिओगनेरइया णं भंते कओ उववनंति तहेव जाब नो परप्पयोगेणं उववजंति सेवं भंते सेवं भंते त्ति सव्वे विएए अट्ठावीसं उद्देसगा।८४२1-841 .इक्कतीसइमेतते २५-२८ उपेसा समत्ता इकतीसइमं सतं समत्तं. For Private And Personal Use Only

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