Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 478
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सतं-२६, उदेसो-१ पढम-ततिया भंगा सम्मामिच्छत्ते ततियवउत्थो भंगो सम्भते नाणे आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे ओहि नाणे-एएसु बितियविहूणांभंगासेसं तं चेव वाणमंतर-जोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा नामं गोयं अंतरायं च एयाणि जहा नाणावरणिझं सेवं भंते सेवं भंते त्तिजाव विहरइ ८१५1-814 छवीसइमे सते पठमो उदेसो सफ्तो. __ - बी ओ-उद्दे सो :(९८१) अनंतरोववन्नए णं भंते नेरइए पावं कम्मं किं बंधी पुच्छा तहेव गोयमा अत्यंगतिए बंधी पढम वितिया भंगा सलेस्सेणं भंते अनंतरोववत्रए नेरइए पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा गोयमा पढम-चितिया भंगा एवं खलु सव्वत्य पढप-वितिया भंगा नवरं-सम्मामिच्छत्तं मणजोगे वइजोगो य न पुछिज्जइ एवं जाव थणियकुमाराणं बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदियाणं वइ-जोगो न भण्णइ पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पि सम्मापिच्छत्तं ओहिनाणं विभंगनाणं मणजोगो वइजगो-एयाण पंचन भण्णंति मणुस्साणं अलेस्स-सम्मामिच्छत्त-मणपञ्जवनाण-केवलनाण-विभंगनाण-नोसपणोवउत्तं-अवेदग-अकसाय-मणजोग-वइजोग-अजोगि-एयाणि एक्कारस पदाणि न भण्णंति वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा नेरइयाणं तहेब ते तिण्णि न भण्णंति सव्वेसिं जाणि सेसाणि ठाणाणि सन्चस्थ पढम-बितिया भंगा एगिदियाणं सब्वत्य पढम-बितिया भंगा जहा पावे एवं नाणावरणिणं वि दंडओ एवं आउयवजेसु जाव अंतराइए दंडओ अनंतरोववन्नए णं भंते नेरइए आउयं कम्मं किंबंधी-पुच्छा गोयमा बंधी न बंधइ बंधिस्सइसलेस्सेणंभंते अनंतरोववन्नए नेरइए आउयं कपंकिंबंधी एवं चेव ततिओभंगो एवं जाव अणागारोवउत्ते सव्वस्थ विततिओभंगो एवं मणुस्सवजं जाव वेमाणियाणं मणुस्साणं सव्वत्थ ततिय-चउत्था भंगा नवरं-कण्हपक्खिएस ततिओ भंगो सव्येसि नाणत्ताई ताइंचव सेवं भंते सेवं भंतेत्ति ८१६1-815 •छवीसइमे सते बीओउद्देसो सभत्तो. __ - तइ ओ-उद्दे सो :(९८२) परंपरोक्वन्नए णं भंते नेरइए पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा गोयमा अत्थेगतिए पढमवितिया एवं जहेव पढमो उद्देसओ तहेव परंपरोक्वनरहिं वि उद्देसओ भाणियव्यो नेरइयाईओ तहेब नवदंडासंगहिओ अट्ठण्ह वि कम्मप्पगडीणं जा जस्स कम्मस्स वत्तव्यया सा तस्स अहीणमतिरित्ता नेयब्वाजाव वेमाणिया अणागारोवउत्ता सेवं भंते सेवं मंतेत्ति।८१७1816 छयीसइमे सतेतइओ उद्देसो समतो. --: च उ त्यो-उ हे सो :(९८३) अनंतरोगाढए णं भंते नेरइए पावं कम्मं किं बंधी पुच्छा गोयमा अत्यंगतिए एवं जहेव अनंतरोक्वन्नएहिं नवदंडगसंगहिओ उद्देसो भगिओ तहेव अनंतरोगाढएहिं वि अहीणमतिरित्तो भाणियव्यो नेरइयादीए जाव वेमाणिए सेवं भंते सेवं भत्तेति।८१८-१1-817-1 छवीसइमे सतेचउत्यो उहेसो. -: पंच मो-उदे सो :(९८४) परंपरोगाढए णं भंते नेरइया पावं कम्मं किं बंधी जहेच परंपरोववन्नएहिं उद्देसो सो चेव निरवसेसो भाणियव्यो सेवं भंते सेवं भंते त्ति।८१८-२९-817-2 •छवीसइमे सते पंचमोसो समतो. For Private And Personal Use Only

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