Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 479
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४७० भगवई - २६/१६/९८५ - छटो-उदे सो :(९८५) अनंतराहारए णं भंते नेरइए पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा एवं जहेव अनंतरोक्वन्नएहिं उद्देसो तहेव निरक्सेसं सेवं मंते सेयं मंते त्ति।८१८-३1-817-3 छवीसइमे सते छटो उहेसो समत्तो. -: स त मो-उ हे सो:(९८६) परंपराहारए णं भंते नेरइए पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा गोयमा एवं जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्देसो तहेब निरवसेसो भाणियव्यो सेवं भंते सेवं भंते ति।८१८-४-837-4 छवीसइमे सते सत्तमो उद्देसो समतो. -: अट मो-उदे सो :(९८७) अनंतरपनत्तए णं भंते नेरइए पावं कम्मं किं बंधी पुच्छा गोयमा जहेव अनंतरोववत्राएहि उद्देसो तहेब निरवसेसं सेवं भंते सेवं भंते तति।८१८-५1817-5 छवीसइमे सते अटूमो उद्देसो सपत्तो. - न व मो-उदे सो :(९८८) परंपरपज्जत्तए णं भंते नेरइए पावं कम्म किं बंधी-पुछ्छा गोयमा एवं जहेव परंपरोववन्नएहि उद्देसो तहेव निरवसेसो भाणियव्यो सेवं भंते सेवं भंते ति जाब विहरइ ८१८-६1-817-6 छवीसइमे सते नवमो उद्देसो सपत्तो. -: द स मो-उ हे सो :(९८९) चरिमे णं मंते नेरइए पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा वं जहेव परंपरोक्वन्नाहिं उद्देसो तहेव चरिमेहिं निरवसेसं सेवं भंते सेवं भंते त्ति जाब विहरइ८१८-६1-818-6 .छवीसइमे सते दसमो उद्देसो सपत्तो. - ए का रस मो-उ सो :-- (९९०) अचरिमे पं भंते नेरइए पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा गोयमा अत्थेगइए एवं जहेव पढमोद्देसए पढम-वितिया भंगा भाणियव्या सव्वत्थ जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं अचरिमेणं भंते मणुस्से पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा गोयमा अत्येगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्थेगतिए बंधी बंधइन बंधिस्सइ अस्थेगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ सलेस्सेणं भंते अचरिपे मणुस्से पावं कम्पंकिं बंधी एवं चेव तिणि भंगा चरमविहूणा भाणियव्वा एवं जहेव पढमुद्देसे नवरं-जेसु तत्य वीससु चत्तारि भंगा तेस इह आदिल्ला तिणि भंगा भाणियव्या चरिमभंगवजा अलेस्से केवलनाणी य अजोगी य-एए तिणि वि न पुच्छिन्नति सेसं तहेव वाणमंतर जोइसिय-वेमाणिए जहा नेरइए अचरिमेणं भंते नेरइए नाणावरणिजं कम्मं किं बंधी-पुच्छा गोयमा एवं जहेव पावं नवरं-मणुस्सेसु सकसाईसु लोभकसाईसु य पढम-बितिया मंगा सेसा अट्ठारस चरमविहूणा सेसं तहेव जाव वेमाणियाणं दरिसणावरणिज्जंपि एवं चेव निरवसेसं वेयणिजे सव्वत्थ वि पढम-वितिया मंगाजाव वैमाणियाणं नवरं-मणुस्सेस अलेस्से केवली अजोगी य नत्यि अचरिमे णं भंते नेरइए मोहणिजं कम्मं किं बंधी-पुच्छा गोयमा जहेव पावं तहेव निरक्सेसं जाव वेमाणिए अपरिमे णं भंते नेरइए आउयं कम्मं किं बंधी-पुच्छा गोयमा पढम-बितिया भंगा एवं सब्वपदेसु वि नेरइयाणं पढम-ततिवा मंगा नवरं-सम्मामिच्छत्ते ततिओ भंगो एवं जाव यणियकुमाराणं पुढविक्काइय-आउक्काइयवणस्सइकाइयाणं तेउलेस्साए ततिओ भंगो सेसेसु पदेसु सव्वत्य पढम-ततिया भंगा तेउकाइय For Private And Personal Use Only

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