Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 428
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सतं - २४, उद्देसो- १२ ४१९ अनुबंधो य जहणणेणं पलिओवमं उक्कोसेणं दो सागरोचमाई कालादेसेणं जहण्णेणं पलिओवमं अंतोमुहुत्त- महिया उककोसेणं दो सागरोदमाई बावीसाए वाससहस्सेहिं अमहियाई एवतियं कालं सेवेज्जा एवतियं कालं गतिरागतिं करेजा एवं सेसा वि अट्ठ गमगा भाणियव्वा नवरं ठिति कालादेसं च जाणेज्जा ईसाणदेवे णं भंते जे भविए एवं ईसाणदेवेण वि नव गमगाभाणियव्या नवरं ठिती अनुबंधो जहण्णेणं सातिरेगं पतिओवमं उक्कोसेणं सातिरेगाई दो सागरोवपाई सेसं तं चेव सेवं भंते सेवं भंते त्ति जाव विहरई । ७०४1-703 चउवी सहमे सते भारसमो उद्देसो सफ्तो - तेरस मोउ हे सो (८४९) आउक्काइया णं भंते कओहिंतो उववज्रंति एवं जहेव पुढविक्काइयउद्देसए जाव-पुढविक्काइए णं भंते जे भविए आउक्काइएसु उबवत्तिए से णं भंते केवतिकालङ्घितीएसु उववजेज्जा गोयम जहणेणं अंतोमुहुत्तद्वितीएस उक्कोसेणं सत्तवाससहस्सद्वितीएसु उदवजेजा एवं पुढविक्काइयउद्देगसरिसो भाणियव्यो नवरं ठितिं संदेहं च जाणेज्जा सेलं तहेव सेवं भंते सेवंभंते ति ७०५/-704 - • चउवीसइमे सते तेरसमो उद्देसो सफ्तो -: चोस मोउ दे सो : (८५०) तेजक्काइया णं भंते कओहिंतो उवयनंति एवं पुढविक्काइयुद्देसगसरिसो उद्देसो भाणियच्यो नवरं-ठितिं संवेहं च जाणेजा देवेहिंतो न उववज्रंति सेसं तं चैव सेवं भते सेवं भंते ति जाव विहरइ ७०६/- 705 चउवीसहमे सते चोहसमो उऐसो समतो -: परस मो- हे सो (८५१) बाउक्काइया णं भंते कओहिंतो उववचंति एवं जहेव तेजक्काइयउद्देसओ तहेव नवरं - ठिति संवेहं च जाणेजा सेवं भंते सेवं भंते त्ति 1७०७1-706 चवीसहमे सते एवरसमो उद्देसो सपत्तो -: सो ल स मोउ दे सो (८५२) वणस्सइकाइया णं भंते कओहिंतो उववज्रंति एवं पुढविक्काइयसरिसो उद्देसो नवरं - जाहे वणस्सइकाइओ वणस्सइकाइएस उववज्रंति ताहे पढमबितिय चउत्थ-पंचमेसु गमएसु परिमाणं अनुसमचं अविरहियं अनंता उववज्रंति भवादेसेणं जहणणेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अनंताई भवग्गहणाई कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्को सेणं अनंतं कालं एवतियं कालं सेवेज्जा एवतियं कालं गतिरागतिं करेजा सेसा पंच गमा अदुभवग्गहणिया तहेव नवरं ठिति संदेहं च जाणेजा सेवं भंते सेवं भंते त्ति ।७०८/-707 - -: चउबीसइमे सते सोलसमो उद्देसो समत्तो -: सत्तर समोउ दे सो : (८५३) बेइंदिया णं भंते कओहिंतो उववज्रंति जाब- पुढविक्काइए णं भंते जे भविए ईदिए उववजित्तए से णं भंते केवतिकालट्टितीएसु उववज्जेज्जा सच्चेव पुढविकाइयस्स लद्धी जाव कालादेसेणं जहणेणं दो अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेजाई भवग्गहणाई- एवतियं कालं सेवेज्जा एवतियं कालं गतिरागतिं करेज्जा एवं तेसु चेव चउसु गमेसु संवेहो सेसेसु पंचसु तहेव अड्ड भवा एवं For Private And Personal Use Only

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