Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
सतं - २२ वग्गो-४
·
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
-: च उ त्यो-व ग्गो :
(८२६) अह मंते वाइंगणि अल्लाइ पोंडइ एवं जहा पत्रवणाए गाहाणुसारेणं नेयव्वं जाव गंज- पाडला - दासि - अंकोलाणं- एएसि णं जे जीवा मूलताए वक्कमंति एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा नेयव्या जाव बीयं ति निरवसेसं जहा वंसवग्गो । ६९२-४।-692-4
• बावीसहमे सते चउत्यो दग्गो समत्तो ● -: पंचमो वग्गो :
(८२७) अह भंते सेरियक-नवमालय कोरेंटग-बंधुजीवग-मणोज्जा जहा पत्रवणाए पढमपदे गाहाणुसारेणं जाव नवणीतिय- कुंद-महाजाईण- एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा निरवसेसं जहा सालीणं । ६९२-५१-692-5
• बावीसमे सत्ते पंचमो वग्गो समत्तो
३९९
-: छ ट्ठो-व ग्गो :
(८२८) अह भंते पूसफलि-कालिंगी - तुंबी तुसी- एलावालुंकी एवं पदाणि छिंदियव्वाणि पन्त्रवणागाहाणुसारेणं जहा तालवग्गे जाव दधिफोल्लइ - काकलि-मोकलि-अक्कबोंदीणं-एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा जहा तालवग्गो नवरंफलुसे ओगाहणाए जहणेणं अंगुलस्त असंखेजइभागं उक्कोसेणं धणुपुहत्तं ठिती सव्वत्थ जहणणं अंतमहुतं उक्कोसेणं वासपुहत्तं सेसं तं चैव एवं छसु वि वग्गेसु सट्ठि उद्देगा भवंति
१६९२-६।- १६९२1-6926692 बावीसइमे सते छट्टो वग्गो समतो बावीसइमं सतं समत्तं
तेवीसइमं - सतं
पढ मो-व ग्गो फ
नमो सूबदेवयाए भगवइए।
(८२९) आलुय लोही अवए पाढा तह मासवण्णि-बल्ली य
पंचे दसवग्गा पन्नासं होंति उद्देसा
1128/41
(८३०) रायगिहे जाव एवं वयासी अह मंते आलुय-मूलग - सिंगबेर-हलिद्दा- रुरुकंडरियजारु-छीरबिरालि-किट्ठि-कुंदु- कण्हाकडभु-मधु-पुलइ-महुसिंगि-निरुहा- सप्पसुगंधा- छिष्णुह-बीयरुहाण - एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा वंतसवग्गसरिसा नवरं परिमाणं जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेजा या अनंता वा उववज्रंति अवहारो गोयमा ते णं अनंता समये समये अवहीरमाणाअवहीरमाणा अनंताहिं ओसप्पिणीहिं उस्सप्पिणीहिं एवतिकालेणं अवहीरंति नो चेव णं अवहिया सिया ठिती जहण्णेण वि उक्को सेण वि अंतोमुहुत्तं सेसं तं चेव । ६९३-१/-693-1
तेवीसइमे सते पढमो वग्गो समत्तो •
For Private And Personal Use Only
बीओ-वग्गो फ्र
(८३१) अह घंते लोही नीहू-थीहू-धिभगा अस्सकण्णी- सीहकण्णी- सिउंढी-मुसुंढीणंएएसि णं जे जीवा मूलत्ताए बक्कमंति एवं एत्य वि दस उद्देगा जहेव आलुवग्गो नवरं- ओगाहणा तालचग्गसरिसा सेसं तं चेव सेवं भंते सेवं भंते त्ति । ६९३-२1693-2
• तेबीसइमे सते बीओ यम्णो समत्तो

Page Navigation
1 ... 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514