Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 406
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सतं.२१ - वग्गो-१, उद्देसो-८,९,१० ३९७ -उसा -८-९-१०:(८१४) एवं पुप्फेवि उद्देसओ नवां देवा उववञ्जति जहा उप्पलुद्देसे चत्तारि लेस्साओ असीती भंगा ओगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइ भागो उक्कोसेणं अंगुलपुहुतं सेसं तं चेव सेवं भंते सेवं भंते त्ति जहा पुप्फे एवं फले वि उद्देसओ अपरिसेसो भाणियब्यो एवं बीए वि उद्देसओ एए दस उद्देसगा ६९०-७१-१६९०1-690-7 - - 690 एगवीसइमे सते पढ़मे वागे ८-९-१० उद्देला समत्ता पढमो वणो समत्तो. ओ बी ओ-व ग्गोम (८१५) अह भंते कल-मसूर-तिल-मुगा-मास-निष्फाव-कुलस्थ-आलिसंदप-सतीणपलिमंथगाण-एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति ते णं भंते जीवा कओहिंतो उववजंति एवं मूलादीया दस उद्देसगा भाणियव्या जहेव सालीणं निरवसेसं तहेब ६९१-१1-691-1 •एगवीसइमे सते बीओ वग्गो सपत्तो. जत इ ओ-व गोज (८१६) अह भंते अयसि कुसुंभ-कोद्दव-कंगु-रालग-वरा-कोदूसा-सण सरिसव-मूलगबीयाणं एएसिणं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति ते णं भंते जीवा कओहिंतो उवयञ्जति एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा जहेव सालीणं निरवसेसं तहेव भाणियव्वा।६९१-२)691-2 एमवीसइमे सते तइओवगो समत्तो. जच उ त्यो-व गोक (८१७) अह भंते वंस-वेणु-कणक-कक्कादंस-चारुवंस-दंडा-कुडा-विमा कंडा-वेलुयाकल्लाणाणं-एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा जहेव सालीणं नवरं-देवो सव्वत्य वि न उववज्जति तिष्णि लेसाओ सव्वस्थ वि छब्बीसं भंगा सेसं तं चेव १६९१-३1-690-3 .एगदीसइमे सते चउत्यो वणो समत्तो. प्रपंच मो-व ग्गो (८१८) अह भते उक्खु-उखुवाडिय-वीरण-इक्कड़-भमास-सुंब-सर-वेत्त-तिमिर-सतपोरग-नलाणं-एएसिणं जे जीवा मूलत्ताए वकमंति एवं जहेय वंसवग्गो तहेवएत्य वि मूलादीया दस उद्देसगा नवरं-खंधुद्देसे देवो उववजति चत्तारिलेस्साओ सेसं तं चेव ।६९१-४1-691-4 .एगवीसइमे सते पंचमो वग्गो सपत्तो. छ टो-व गो卐 (८१९) अह मंते सेडिय-भंतिय-कोतिय-दम-कुस-पव्यग-पोगिल-अजुण-आसाढग-रोहियंस-सुय-वखीर-भुस-एरंड-कुरुकुंद-करकर-सुंठ-विभंगु महुरतणं धुरग सिप्पिय - संकुलितणाणंएएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति एवं एत्य वि दस उद्देसगा निरवसेसं जहेव वंसवग्गो . १६९१-41-691-5 .एगयीसहमे सते छटो वग्गो सपत्तो. जस त मो-व गोक (८२०) अह भंते अभाह-बोयण-हरितग-तंगुलेजग-तण-वत्थुल पोरग-मजार-पाइविलि पालक्क - दगपिपलिय - दवि-सोत्थक-सायमंडुक्कि-मूलग-सरिसव-अंबिलसाग-जियंतगाणं For Private And Personal Use Only

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