Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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४०४
भगवई - २४/-19/८३९ पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उपवजंति असंखेजयासाउयसण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोगिएहितो उववजंति गोयमा संखेजवासाउयसण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति-किं जल-चरेहिंतो उववझंति-पुच्छा गोयमा जलचरेहितो उववजंति जहा असण्णी जाव पञ्जत्तएहितो उववनंति नो अपजतएहिंतो उववजंति पजज्जत्तसंखेनवासाउयसणिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते जे भविए नेरइएसु उववञ्जित्तए से णं मंते कतिसु-पुढवीसु उववजेजा गोयमा सतसु पुढयीसु उववजेज्जा तं जहा-रयणप्पभाए जाव अहेसत्तमाए पजत्तसंखेजवासाउयसण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते जे भविए रवणप्पभपुढविनेरइएसु उववजित्तए से णं मंते केवतियकालद्वितीएसु उक्वज़ेजा गोयमा जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु उक्कोसेणं सागरोवमद्वितीएस उववजेज्जा ते णं भंते जीवा एगसमएणं केवतिया उववनंति जहेव असण्णी, तेसि पं भंते जीवाणं सरीरंगा किसंघयणी पत्रत्ता गोयमा छब्बिहसंघयणी पत्रत्ता तं जहा-बइरोसभनारायसंघयणी उसभनारायसंघयणी जाव छेवट्टसंघयणी सरीरोगाहणा जहेव असण्णीणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेनइभाग उक्कोसेणं जोवणसहस्सं तेसि णं भंते जीवाणं सरीरंगा किसठिया पत्रत्ता गोयमा छब्बिहसंठिया पन्नता तं जहा-समचउरंसा निग्गोहा जाव हुंडा तेसिणं भंते जीवाणं कति लेस्साओ पन्नत्ताओ गोयमा छल्लेस्साओ पन्नत्ताओ तं जहा-कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा दिट्ठी तिविहा वि तिणि नाणा अन्नाणा भयणाए जोगो तिविहो वि सेसं जहा असण्णीणं जाव अनुबंधो नवरं-पंच समुग्धाया आदिल्लगावेदो तिविहो वि अवसेत्तं तं चेय जाव-से णं भंते पञ्जत्तसंखेजवासाउयसण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिए रयणप्पभाए जाव गतिरागति करेजा गोयमा भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अट्ठ भवागहणाई कालादेसेणं जहण्णेणं दसवाससहस्साई अंतोमुत्तममहियाई उककोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चरहिं पुव्यकोडोहिं अमहियाइं एवतियं काल सेवेजा एवतियं कालं गतिरागतिं करेजा।
पजतसंखेन वासाउयसण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं मंते जे भविए जहण्णकाल [द्वितीएसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववञ्जित्तए से णं भंते केवतियकालट्ठीतीएसु उवदओझा गोयमा जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु उक्कोसेणं वि दसवाससहस्सद्वितीएसु उववजेजा ते णं भंते जीवा एगसपएणं केवतिया उववनंति एवं सो देव पढपो गमओ निरवसेसो माणियव्वो जाव कालादेसेणं जहण्णेणं दसवाससहस्साई अंतो-मुहुत्तममहियाई उक्कोसेणं चत्तारि पुवकोडीओ चत्तालीसाए वाससहस्सेहिं अमहियाओ एवतियं कालं सेवेज्जा एवतियं कालं गतिरागति करेजा सो चेव उक्कोसकालहितीएसु उववण्णो जहण्णेणं सागरोवमद्वितीएसुउक्कोसेणं वि सागरो. वमद्वितीएसु उववजेजा अवसेसो परिमाणादीओ भवादेसपज्जवसाणो सो चेव पढपगमो नेयम्यो जाव कालादेसेणं जहण्णेणं सागरोवमं अंतोमुत्तममहियं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहिं पुव्वकोडीहिंजहण्णकालद्वितीयपञ्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिपंचंदियतिरिक्खजोणिए णं मंते जे मविए रयणप्पभपुढविनेरइएसु उववजित्तए से णं मंते केवतिकालिद्वितीएसु उववजेजा गोयमा जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु उक्कोसेणं सागरोवमट्टितीएसु उववजेता ते णं भंते जीवा एगसमएणं केवतिया उववनंति अबसेसो सो चेव गमओ नवरं-इमाइं अट्ठ नाणताई-सरीरोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असखेजइमागं उक्कोसेणं धणुपुहतं लेस्साओ तिणि आदिलाओ नो सम्पदिट्ठी मिच्छादिट्ठी नो सम्मामिच्छदिट्ठी नो नाणी दो अण्णाणा नियमं समुधाया आदिला तिणि
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