Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 399
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३९० भगवई . २०/-10/७९२ ओरालियसरीस्स जाव कम्मगसरीरस्स आहारसण्णाए जाव परिग्गहसण्णाए कण्हलेसाए जाव सुक्कलेसाए सम्मदिट्ठीए मिच्छादिट्ठीए सम्मामिच्छादिट्ठीए आभिणिबोहियनाणस जाव केवलनाणस्स मइअन्नाणस्स सुयअन्नाणस्स विभंगनाणस्स एवं आभिणिबोहियनाणविसयस्स भंते कतिविहे बंधे पत्रत्ते जाव केवलनाणविसयस मइअन्नाणविसयस्स सुयअण्णाण विसयस विभंगनाणविसयस्स-एएसि सव्वेसिं पदाणं तिविहे बंधे पन्नत्ते सव्वेवेते चउव्वीसं दंडगा भाणियव्वा नवरं-जाणियव्यं जस्स जं अस्थि जाव-वेमाणियाणं भंते विभंगनाणविसयस्स कतिविहे बंधे पन्नत्ते गोयमा तिविहे बंधे पन्नत्ते तं जहा-जीवप्पयोगबंधे अनंतरबंधे परंपाबंधे सेवं भंते सेवं भंते जाय यिहरइ ।६७५॥ .वीसइमे सते सत्तमो उद्देसो सपत्तो. -: अटू मो-उदे सो :(७९३) कति णं भंते कम्मभूमीओ पन्नताओ गोयमा पन्नरस कम्मभूमीओ पन्नत्ताओ तं जहा-पंच भरहाई पंच एरवयाई पंच महाविदेहाई कति णं मंते अकम्मभूमीओ पत्रत्ताओ गोयमा तीसं अकम्मभूमीओ पत्रत्ताओ तं जहा-पंच हेमवयाई पंच हेरण्णवयाई पंच हरिवासाइं पंच रस्मगवासाइं पंच देवकुराओ पंच उत्तरकुराओ एयासु णं भंते तीसासु अकम्मभूमीसु अस्थि ओसप्पिणीति वा उस्सप्पिणीति वा नो इणढे सपट्टे एएसु णं भंते पंचसु परहेसु पंचसु एरवएसु अस्थि ओसप्पिणीति या उस्सप्पिणीति वा हंता अस्थि एएसु णं पंचसु महाविदेहेसु नेवस्थि ओसप्पिणी नेवरिये उस्सप्पिणी अवट्ठिएणं तत्थ काले पत्रत्ते समणाउसो।६७६1-675 (७९४) एएसुणं भंते पंचसु महाविदेहेसु अरहंता भगवंतो पंचमहब्वइयं सपडिक्कमणं धम्म पन्नवयंति नो इणढे समढे एएसु णं पंचसु भरहेसु पंसु एरवएसु पुरिम-पच्छिमगा दुवे अरहंता भगवंतो पंचमहव्वइयं सपडिक्कमणं धमं पत्रवयंति अवसेसा णं अरहंता भगवंतो चाउजाम धमं पत्रवयंति एएसुणं पंचसुमहाविदेहेसु अरहंता भगवंतो चाउजामंधमंपनवयंति जंबुद्दीवे णं भंते दीवे मारहे वासे इमीसे ओसाप्पिणीए कति तित्यगरा पन्नत्ता गोयमा चउवीसं तित्वगरा पन्नत्ता तंजहा उसभ-अजिय-संभव-अभिनंदण-सुमित-सुपभ-सुपास-ससि-पुष्पदंत-सीयल सेजंसवासुपुज-विमल-अनंत-धम्प-संति-कुंथु-अर-मल्लि-मणिसुव्यय-नमि-नेमि-पास-बद्धमाणा।६७७१-576 (७९५) एएसि णं मंते चवीसाए तित्थगराणं कति जिणंतरा पत्रत्ता गोयमा तेवीसं जिणंतरा पत्रत्ता एएसि णं भंते तेवीसाए जिणंतरेस कस्स कहिं कालियस्यस्स बोच्छेदे पन्नते गोयमा एएसु णं तेवीसाए जिणंतरेसु पुरिम-पच्छिमएसु अट्ठसु-असु जिणंतरेसु एत्थ णं कालियसुयस्स अब्बोच्छेदे पन्नते मज्झिमएसु सत्तसु जिणंतरेसु एत्थ णं कालियसुवरस वोच्छेदे पन्नत्ता सव्यस्थ विणं वोच्छिण्णे दिठिवाए १६७८/-677 (७९६) जंबुद्दीवेणं भंते दीवे मारहे वासे इसीसे औसप्पिणीए देवाणप्पियाणं केवतियं कालं पुव्वगए अनुसज्जिस्सति गोयमा जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए ममं एगं वाससहस्सं पुव्वगए अनुसज्जिस्सति जहा णं भंते जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए देवाणुप्पियाणं एगं वाससहस्सं पुदगए अनुसज्जिस्सति तहाणं भंते जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए अवसेसाणं तित्यगराणं केवतियं कालं पुव्यगए अनुसज्जित्था गोयमा अत्यंगतियाणं संखेज कालं अत्ये गतियाणं असंखेनं कालं ।६७९६-578 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514