Book Title: Agam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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३९२
भगवई - २०/-/९/८०१
उपाएणं पंडगवणे समोसाणं करेति करेत्ता तहिं चेइयाई बंदति वंदिता तओ पडिनियत्तति पडिनियत्तित्ता इहमागच्छ आगच्छ्रिता इहं चेइयाई वंदति विज्जाचारणस्स णं गोयमा उड्ढ एवतिए गतविसए प. से णं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कंते कालं करेति नत्थि तस्स आराहणा सेणं तस्स ठाणस्स आलोइय-पडिक्कते कालं करेति अत्थि तस्स आराहणा १६८४|-683
(८०२ ) से केणट्टेणं भंते एवं बुच्चइ-जंघाचारणे-जंघाचारणे गोयमा तस्स णं अट्टमंअट्टमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणस्स जंघाचारणलद्धी नाम लद्धी समुप्पति से तेणट्टेणं [गोवमा एवं बुच्चइ] - जंघाचारणे जंधाचरणे जंघाचारणस्स गं घंते कहं सीहा गती कहं सीहे गतिविसए पन्नत्ते गोवमा अयण्णं जंबुद्दीचे दीवे [ जाव किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं देवे णं महिदीए जाव महेसुक्खे जाव इणामेव इणामेव त्ति कट्टु केवलकप्प जंबुद्दीवे दीवं तिहिं अच्छरानिवाएहिं] तिसत्तखुत्तो अनुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छेजा जंघाचारणस्स णं गोयमा तहा सीहा गती तहा सी गतिविसए पन्नत्ते जंघाचारणस्सा भंते तिरियं केवतिए गतिविसए गोयमा से णं इओ एगेणं उप्पा एणं रुयगवरे दीवे समोसरणं करेति करेत्ता तर्हि चेड्याई वंदति वंदित्ता तओ पडिनियत्तमाणे बितिएणं उप्पाएणं नंदीसरवरदीवे समोसरणं करेति करेत्ता तर्हि चेइयाई वंदति बंदित्ता इहमागच्छइ आगच्छित्ता इहं चेइयाई वंदति जंधाचारणस्स णं गोवमा तिरियं एवतिए गतिविसए जंघाचारणस्स णं भंते उड्ढं केवतिए गतिबिसए गोयमा से णं इओ एगेणं उप्पाएणं पंडगवणे समोसरणं करेति करेत्ता तहिं चेइयाई बंदति वंदित्ता तओ पड़नियतमाणे वितिएणं उप्पाएणं नंदणवणे समोसरणं करेति करेत्ता तहिं चेइयाइं वंदति वंदित्ता इहमागच्छइ आगच्छित्ता इह चेहयाई वंदति जंघाचारणस्स णं गोवमा उड़ढ़ एवतिए गतिविसए से णं तस्स ठाणस्स अणालोइय-पडिक्कंते कालं करेइ नत्थि तम्स आराहणा से णं तस्स ठाणस्स आलोइय-पडिक्कंते कालं करेति अत्थि तरस आराहणा सेवं मंते सेवं भंते जाव विहरई । ६८५/-684
• वीसहमे सते नवमो उद्देसो समत्तो
-: दस मोउ द्दे सो :
(८०३) जीवा णं भंते किं सोवक्कमाउया निरुवक्कमाउया गोयमा जीवा सोवक्कमाया व निरुवककमाउया वि नेरइयाणं पुच्छा गोयमा नेरइया नो सोवक्कमाउया निरुवक्कमाउया एवं जाव धणियकुमारा पुढबिक्काइया जहा जीवा एवं जाव मणुस्सा वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेरइया । ६८६ - 685
(८०४) नेरइया णं भंते किं आतोवक्कमेणं उयवज्रंति परोवकूकमेणं उचयअंति निरुवक्कूकमेणं उववज्रंति गोयमा आतोवक्कमेणं वि उववज्रंति परोवकूकमेण वि उववज्रंति निरुवक्कमेण वि उववचंति एवं जाव वैमाणिया नेरइया गं भंते किं आतोवक्कमेणं उव्वहंति परोवककमेणं उव्व ंति निरुवक्कमेणं उब्वट्टेति गोयमा नो आतोवकूकमेणं उच्चति नो परोवक्कमेणं उव्वर्हति निरुवक्कमेणं उब्बति एवं जाव धणियकुमारा पुढविकाइया जाव मस्सा तिसु उव्व ंति सेसा जहा नेरइया नवरं जोइसिय-वैमाणिया चयंति, नेरइया णं भंते किं आइड्ढाए उववज्रंति परिड्ढीए उववज्रंति गोयमा आइड्ढीए उववज्रंति नो परिड्ढीए उववज्रंति एवं जाव वेपाणिया नेरइया णं मंते किं आइड्ढीए उव्वति परिड्ढीए उव्वति गोयमा आइड्ढीए उब्व ंति नो परिड्ढीए उब्वट्टंति एवं जाव वैमाणिया नवरं जोइसिया वैमाणिया य चयंतीति
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