Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 15 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 18
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२४ उ.१२ सू०१ पृथ्वीकायिकानामुत्पातनिरूपणम् ३ याई उक्कोसेण छावत्तरिवाससहस्सुत्तरं सयसहस्सं एवइयं कालं जाव करेजा।३। सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्रिइओ जाओ, सो चेव पढमिल्लओ गमओ भाणियवो नवरं लेस्साओ तिन्नि, ठिई जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं अपसत्था अज्झवसाणा, अणुबंधो जहा ठिई. सेसं तं चेव ।४। सो चेव जहन्नकालदिइएसु उववन्नो सच्चेव चउत्थगमवत्तव्वया भाणियव्वा ।५। सो चेव उक्कोसकालटिइएसु उववन्नो एस चेव वत्तत्वया, नवरं जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्निवा उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा जाव भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं अहासीइं वाससहस्साई चउहिँ अंतोमुहुत्तेहिं अब्भहियाइं एवइयं०६। सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठिइओ जाओ एवं तइयगमसरिसो निरवसेसो भाणियव्वो। नवरं अप्पणा से ठिई जहन्नेणं बावीसं वाससहस्साइं उक्कोसेणं वि बावीसं वाससहस्साइं । सो चेव जहन्नकालट्रिइएसु उववन्नो जहन्नेणं अंतोमुहत्तढिइएसु उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तट्टिइएसु। एवं जहा सत्तम गमगो जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमब्भहियाइं, उक्कोसेणं अट्ठासीई वाससहस्साइं चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अब्भहियाई, एवइयं जाव करेज्जा । सो घेव उक्कोसकालहिइएसु उववन्नो जहन्नेणं बावीसवाससहस्स શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૫

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