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श्री
समवायाङ्ग
सूत्र ॥
aj अंग
॥२५०॥
छ स्वसमयना छे अने सात आजीविक मतना छे. तेमां छ परिकर्म चार नयवाळा छे अने सात परिकर्म त्रिराशिकवाळाना छे. ए प्रमाणे पूर्वापर सहित (मूळभेद अने उत्तरभेद सहित ) साते परिकर्मना त्र्याशी भेद थाय छे एम में कहुं छे. ते आ परिकर्म क ॥ १ ॥
हवे ते सूत्र कयां छे ? सूत्र अट्ठाशी छे एम में कनुं छे. ते आ प्रमाणे - ऋजुसूत्र १, परिणतापरिणत २, बहुमंगिक ३, 'विप्रत्ययिक [विनय (विजय ) चरित ] ४, अनंतर ५, परंपर ६, समान ७, संजूह [ मासाण ] ८, भिन्न ९, यथात्याग [ अहव्वा -- नंदीसूत्र ] १०, सौवस्तिक ११, नंद्यावर्त १२, बहुल १३, पृष्टापृष्ट १४, वियावर्त ( व्यावर्त ) १५, एवंभूत १६, द्विकावर्त १७, वर्तमानोत्पाद १८, समभिरूढ १९, सर्वतोभद्र २०, प्रणाम[ प्रश्वास - नंदीसूत्र ] २१ अने द्वि(तिग्रह २२. आ बावीस सूत्रो छिन्नच्छेद नय संबंधी स्वसमयसूत्रनी परिपाटीए करीने कहां छे, ए ज बावीश सूत्रो अच्छि - नच्छेद नय संबंधी आजीविकसूत्रनी परिपाटीए करीने कहां छे. ए ज बावीश सूत्रो त्रण नयवाळा त्रिराशिक सूत्रनी परिपाटीए करीने कां छे, तथा ए ज बावीश सूत्रो चार नयवाळा स्वसमय सूत्रनी परिपाटीए करीने कां छे. आ प्रमाणे पूर्वापर सहित (सर्वे मळीने ) अट्ठाशी सूत्र थाय छे एम में कह्युं छे. ते आ सूत्र कयुं । २ ।
हवे ते पूर्वगत शुं छे ? पूर्वगत चौद प्रकारनुं कयुं छे. ते आ प्रमाणे -- उत्पाद पूर्व १, अग्रणीय पूर्व २, वीर्य ३, अस्तिनास्तिप्रवाद ४, ज्ञानप्रवाद ५, सत्यप्रवाद ६, आत्मप्रवाद ७, कर्मप्रवाद ८, प्रत्याख्यानप्रवाद ९, विद्यानुप्रवाद १०, अवध्य ११, प्राणायु १२, क्रियाविशाल १३ अने लोकविंदुसार १४. तेमां उत्पादपूर्वने विषे दश वस्तु कही छे अने चार
दृष्टवाद परिचय |
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