Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Author(s): Jethalal Haribhai
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 650
________________ चक्रवर्त्यादिना . नामो॥ समवायाङ्ग सत्र॥ चोधू अंग ॥२९७ ॥ ४७ ॥ नवमो य महापउमो हरिसेणो चेव रायसद्दलो । जयनामो य नरवई, बारसमो बंभ- दत्तो य ॥४८॥ ] एएसिं बारसण्हं चकवट्ठीणं बारस इत्थिरयणा होत्था, तं जहा-पढमा होइ सुभद्दा भद्द सुणंदा जया य विजया य । किण्हसिरी सूरसिरी पउमसिरी वसुंधरा देवी ॥ ४९ ॥ लंच्छिमई कुरुमई इत्थिरयणाण नामाई ॥ मूलार्थ:-आ जंबूद्वीप नामना द्वीपमा भरतक्षेत्रमा आ अवसर्पिणीमां बार चक्रवर्ती थया हता, ते आ प्रमाणेभरत १, सगर २, मघवा ३, राजाने विपे सिंह समान सनत्कुमार ४, शांति ५, कुंथु ६, अर ७, कुरुवंशना सुभूम ८, नवमा महापद्म ९, राजाने विष सिंह समान हरिषेण १०, जय नामना राजा ११ अने बारमा ब्रह्मदत १२ (४८)॥ N आ बार चक्रवर्तीओने चार स्त्रीरत्नो हता, तेना नामो आ प्रमाणे-पहेली सुभद्रा १, भद्रा २, सुनंदा ३, जया ४, -विजया ५, कृष्णश्री ६, सूर्यश्री ७, पद्मश्री ८, वसुंधरा ९, देवी १० (४९). लक्ष्मीवती ११ अने कुरुमती १२. आ स्त्रीरत्नोनां नाम हतां ॥ - हवे बळदेव वासुदेवना पितादिकना नामो कहे छे मू०-जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए नवबलदेवनववासुदेवपियरो होत्था ॥२९७॥

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