Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Author(s): Jethalal Haribhai
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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(मधुर) स्वर (नाद) छे एवा, कटीसूत्र (कंदोरा) तथा नील ( वासुदेव ) अने पीत (बळदेव) कौशेय वस्त्रवाळा, श्रेष्ठ देदीप्यमान तेजवाळा, नरने विपे सिंह समान, नरना पति, नरना इंद्रो, नरने विषे वृषभ समान, इंद्रनी उपमावाळा, अधिक राजतेजनी लक्ष्मीवडे देदीप्यमान अने नील-पीत वस्त्रवाना वे वे राम अने केशव भाइओ. हता, ते आ प्रमाणे-त्रिपृष्ठथी कृष्ण सुधी अने अचळथी छेल्ला ( बळ ) राम सुधी ( नव नव जाणवा )॥५३॥
टीकार्थः-दशारना एटले वासुदेवना मंडळ एटले बळदेव अने वासदेव ए बवेना जे समुदाय ते दशारमंडळ कहीए. आथी करीने ज 'दो दो रामकेसवा' एम आगळ कहेशे. वळी वळदेव अने वासुदेव दशारमंडळनी बहार नहीं होवा छतां दशारमंडलानि' एम प्रथम कहीने एण दशारमंडळमां प्रगटरूप एवा तेमना विशेपणो आपवा माटे 'तद्यथा एम कहे छे–' तद्यथा' ए शब्द वळदेव अने वासुदेवना स्वरूपने जणाववा माटे कह्यो छे. कोइक आचार्य दशारमंडळनो अर्थ आ प्रमाणे करे छे-दशारना एटले वासुदेवना कुळमां थयेली प्रजाना मंडन एटले शोभावनारा, उत्तम पुरुषो एटले तीर्थंकरादिक चोपन उत्तम पुरुषोनी मध्ये वर्तता होवाथी उत्तम, मध्यम पुरुपो एटले तीर्थंकर चक्रवर्तीना तथा प्रतिवासुदेवादिकना बळादिकनी अपेक्षाए वच्चे वर्तनार होवाथी, प्रधानपुरुषो एटले ते ते काळना पुरुषोने मध्ये शौर्यादिकवडे प्रधान-मुख्य होवाथी, मनना बळवाळा होवाथी ओजस्वी, दीप्तिमान शरीर होवाथी तेजस्वी, शरीरे बळवान होवाथी वर्चस्वी, पराक्रम बतावीने प्रसिद्धि पामेला होवाथी यशस्वी, छायावान एटले शोभायमान शरीरवाळा, एज कारण माटे कांतिना योगथी कांत, अरौद्र आकार होवाथी सौम्य, लोकोने वल्लभ होवाथी सुभग, चक्षुने प्रिय रूपवाळा होवाथी प्रियदर्शन

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