Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Author(s): Jethalal Haribhai
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 667
________________ Tamanaमा देसगा ॥ ७६ ॥ मूलार्थ:-आ जंबूद्वीप नामना द्वीपने विपे भरतक्षेत्रने विपे आवती उत्सर्पिणीमां चोवीश तीर्थंकरो थशे, तेना नाम आ प्रमाणे-महापद्म १, सूर्यदेव २, सुपार्श्व ३, स्वयंप्रभ ४, सर्वानुभूति अरिहंत ५, अने देवश्रुत ६ नामना थशे. (७२). उदय ७, पेढालपुत्र ८, पोट्टिल ९, शतकीर्ति १०, मुनिसुव्रत अरिहंत ११, सर्वभावविद् जिनेश्वर १२, (७३) निष्कषाय १३, अमम १४, निष्पुलाक १५, निर्मम १६, चित्रगुप्त १७ अने समाधि १८ आगामी काळे थशे (७४), संवर १९, अनियट्टी २०, विजय २१, विमल २२, देवोपपात अरिहंत २३ अने अनंतविजय २४ (७५), आ चोवीश तीर्थकरो आगामी काळे भरतक्षेत्रमा धर्मतीर्थना उपदेशक थशे एम कयुं छे. (७६)॥ टीकार्थ-महापद्मने आरंभीने अनंतविजय सुधीना चोवीश नाम जाणवा (७५) ॥ मू-एएसि णं चउबीसाए तित्थकराणं पुबभविया चउबीसं नामधेज्जा भविस्तंति, तं जहा--सेणिय सुपास उदए पोटिल्ल अणगार तह दढाऊ य । कत्तिय संखे य तहा नंद सुनंदे य सतए य ॥ ७७ ॥ बोद्धबा देवई य सञ्चइ तह वासुदेव बलदेवे। रोहिणि सुलसा चेव तत्तो खलु रेवई चेव ॥ ७८ ॥ ततो हवइ सयाली बोद्धवे खलु तहा भयाली य । दीवायणे य कण्हे

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