Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Author(s): Jethalal Haribhai
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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चार हजार क्षत्रिय राजाओनी साथे ऋषभदेव नीकळ्था हता, अने बाकीना ओगणीश तीर्थकरो हजार हजारना परिवार सहित नीकळ्या हता (२५). सुमतिस्वामी नित्यभक्तवडे (उपवास विना) नीकळ्या हता, वासुपूज्य स्वामी एक उपवासे नीकळ्या हता, पार्श्वनाथ अने मल्लिनाथ अहम भक्ते नीकळ्या हता अने बाकीना वीश तीर्थकरो छठभक्ते नीकळ्या हता (२६)
एएसिं णं चउव्वीसाए तित्थगराण चउव्वीसं पढमभिक्खादायारो होत्था, तं जहा-सिजंस बंभदत्ते सुरिंददत्ते य इंददत्ते य । पउमे य सोमदेवे माहिदे तह सोमदत्ते य ॥ २६ ॥ पुस्से पुणव्वसू पुण्णणंद सुगंदे जये य विजये य । तत्तो य धम्मसीहे सुमित्त तह वग्गसीहे अ॥२७॥ अपराजिय विस्ससेणे वीसइमे होइ उसभसेणे य । दिपणे वरदत्ते धणे बहुले य आणुपुवीए ॥ २८ ॥ एए विसुद्धलेसा जिणवरभत्तीइ पंजलिउडा उ । तं कालं तं समयं पडिलाभेई जिणवरिंदे ॥ २९ ॥ संवच्छरेण भिक्खा लद्धा उसमेण लोयणाहेण । सेसेहि बीयदिवसे लद्धाओ पढमभिक्खाओ ॥ ३० ॥ उसभस्स पढमभिक्खा खोयरसो आसि लोगणाहस्स । सेसाणं पर....१ छापेल प्रतमा आ २६ नो अंक बीजी वार कर्यो छे.
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