Book Title: Acharanga Sutra Part 05
Author(s): Manekmuni
Publisher: Mohanlal Jain Shwetambar Gyanbhandar
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भावेमाणे विहरइ, एवं वा विहरमाणस्स जे केइ उवसग्गा दसमीपवखेण सुव्वएणं दिवसेणं विजएणं मुहुरोण हत्थुत्तेराहिं नक्खत्तेणं जोगोवगएणं पाईणगामिणीए छायाए वियमाणस तिधिहभविषणकायगुत्त सम्म सहिग्सनई" रातक्खइ अहियासेइ, तओ णं समणस्स भगवओ महावीरस्स एएणं विहारेणं विहरमाणस्स बारस वासा वीइकंता तेरसमस्स य वासस्स परियाए वट्टमाणस्स जे से गिम्हाणं दुञ्चे मासे चउत्थे पक्खे वइसाहसुद्धे तस्स णं वेसाहसुद्धस्स दसमीपक्खेणं सुव्वएणं दिवसेणं विजएणं मुहुरेणं हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगोवगएणं पाईणगामिणीए छायाए वियताए पोरिसीए जंभियगामस्स नगरस्स बहिया नईए उज्जुवालियाए उत्तरकूले सामागस्स गाहावइस्स कट्ठकरणं सि उड़जाणूअहोसिरस्स झाणकोट्ठोवगयस्स वेयावत्तस्स चेइयस्स उत्तरपुरच्छिमे दिसीभागे सालरुक्खस्स अदूरसामते उक्कुडुयस्स गोदोहियाए आयावणाए आयावेमाणस्स छट्टेण भत्तेणं अपाणएणं सुक्कज्झाणंतरियाए वट्टमाणस्स निव्वाणे कसिणे पडिपुन्ने अव्याहए निरावरणे अणंते अणुत्तरे केवलघरनाणदंसणे समुप्पन्ने, से भगवं अरहं जिणे केवली सव्वन्नू सव्वभावदरिसी सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स पजाए जाणइ, तं-आगई गई ठिइं चयणं उववायं भुत्तं पीयं कडं पडिसेवियं आविकम्मं रहोकम्मं लवियं कहियं मणोमाणसियं सव्वलोए सव्वजीवाणं सव्वभावाई जाणमाणे पास.

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