Book Title: Acharanga Sutra Part 05
Author(s): Manekmuni
Publisher: Mohanlal Jain Shwetambar Gyanbhandar

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Page 350
________________ [33] क्खेवणासमिए से निग्गंथे, नो अणायाणभंडमत्तनिकखेवणासमिए, केवली बूया०-आयाणभंडमत्त निक्खेवणाअसमिए से निग्गंथे पाणाई भूयाई जीवाई सताइं अभिहणिजा वा जाव उद्दविज वा. तम्हा आयाणभंडमत्तनिक्खेवणास मिए से निग्गंथे, नो आयाणभंड निक्खेवणाअसमिएत्ति चउत्था भावणा ४ । अहावरा पंचमा भावणा-आलोइयपाणभोयणभोई, से निग्गंथे नो अणालोइयपाणभोयणभोइ, केवली बूया०-अणालोईयपाणभोयणभोई से निग्गंथे पाणाणि वा ४ अभिहणिज वा जाव उद्दविज वा, तम्हा आलोइयपाणभोयणभोई से निग्गंथे नो अणालोइयपाणभोयणभोईत्ति पंचमा भावणा ५ । एयावता महब्बए सम्म कारण फासिए पालिए तोरिए किट्टिए अवट्ठिए आणाए आराहिए यावि भवइ, पढमे भंते ! महव्वए पाणाइवायाओ वेरमणं ॥ अहावरं दुच्चं महब्वयं पञ्चक्खामि, सव्वं मुसावायं वइदोसं, से कोहा वा लोहा वा भया वा हासा वा नेव सयं मुसं भासिजा नेवनेणं मुसं भासाविजा अन्नंपि मुसं भासंतं न समणुमन्निजा तिविहं तिविहेणं मणसा वयसा कायसा, तस्स भंते ! पडिकमामि जाव वोसिरामि, तस्ति माओ पंच भावणाओ भवंति-तथिमा पढमा भावणा-अणुवीइभासी से निग्गंथे नो अणणुवीइभासी, केवली बूया०अणणुवीइभासी से निग्गंथे समावजिज मोसं वयणाए, अणुवीइभासी से निग्गंथे नो अणणुवीइभासित्ति पढमा भावणा। अहावरा दुच्चा भाषणा-काहं परियाणइ से निग्गंथे नो कोहणे सिया, केवली बूया-कोहप्पत्ते कोहत्तं समाव

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