Book Title: Acharanga Sutra Part 05
Author(s): Manekmuni
Publisher: Mohanlal Jain Shwetambar Gyanbhandar

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Page 352
________________ [333] निग्गंथे नो अणणुन्नविअ पाणभोयणभोई; केवली बूयाअणणुन्नविय पाणभोयणभोई से निग्गंथे अदिन्नं भुंजिजा, तम्हा अणुन्नविय पाणभोयणभोइ से निग्गंथे नो अणणुन्न विय पाणभोयणभोईत्ति दुच्चा भावणा २। अहावरा तच्चा भावणा-निग्गंथेणं उग्गहंसि उग्गहियंसि एतावताव उग्गहणसीलए सिया, केवली बूया-निग्गंथेणं उग्गहंसि अणुग्गहियंसि एतावता अणुग्गहणसोले अदिन्नं ओगिहिजा, निग्गं. थेणं उग्गहं उग्गहियंसि एतावताव उग्गहणसीलएत्ति तच्चा भावणा। अहावरा चउत्था भावणा-निग्गंणं उग्गहंसि उग्गहियंसि अभिक्खणं २ उग्गहणसीलए सिया, केवली बूयानिग्गंथेणं उग्गहंसि उ अभिक्खणं २ अणुग्गहणसीले अदिन्नं गिहिजा, निग्गंथे उग्गहंसि उग्गहियंसि अभिक्खणं २ उग्गहणसीलएत्ति चउत्था भावणा । अहावरा पंचमा भावणा-अ. णुवीइ मिउग्गहजाई से निग्गंथे साहम्मिएसु, नो अणणुवीई मिउग्गहजाई, केवली बूया-अणणुवीइ मिउग्गहजाई से निग्गंथे साहम्मिएसु अदिनं उगिहिजा अणुवीइमिउग्गहजाई से निग्गंथे साहम्मिएसु नो अणणुवीइमिउग्गहजाती इइ पंचमा भावणा, एतावया तच्चे महव्वए सम्म० जाव आणाए आराहए यावि भवइ, तचं भंते ! महव्वयं ॥ अहावरं चउत्थं महव्वयं पञ्चक्खामि सव्वं मेहुणं, से दिव्वं वा माणुस्सं वा तिरिक्खजोणिय वा नेव सयं मेहुणं गच्छेजा तं चैवं अदिन्नादाणवत्तव्बया भाणियव्या जाव वोसिरामि, तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति, तत्थिमा पढमा भा--

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