Book Title: Abhidhan Chintamani kosha
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 767
________________ लिङ्गानुशासनम् । गृह्या शाखापुरेऽश्मन्तेऽन्तिका कीला रताहतौ । रज्जौ रश्मिर्यवादिर्दोषादौ गञ्जा सुरागृहे ॥ २५ अहंपूर्विकादिर्वर्षा, मघा अप्कृत्तिका बहौ । वा तु जलौकोऽप्सरसः, सिकतासुमनःसमाः॥ २६ गायत्र्यादय इष्टका बृहतिका संवर्तिका सज्जिका. . दूषीके अपि पादुका झिरुकया पर्यस्तिका मानिका । नीका कञ्चलिकाऽलुका कलिकया राका पताकाऽन्धिका, शूका पूपलिका त्रिका चविकयोल्का पञ्जिका पिण्डिका २७ ध्रुवका क्षिपका कनीनिका, शम्बूका शिबिका गवेधुका । कणिका केका विपादिका, मिहिका यूका मक्षिकाऽष्टका २८ कूर्चिका कूचिका टीका, कोशिका केणिकोर्मिका । जलौका प्राविका धूका, कालिका दीर्घिकोष्ट्रिका ॥ २९ शलाका वालुकेषीका, विहङ्गिकेषिके उखा । परिखा विशिखा शाखा, शिखा भङ्गा सुरङ्गया ॥ ३० जङ्घा चचा कच्छा पिच्छा, पिञ्जा गुञ्जा खजा प्रजा । झञ्झा घंटा जटा घोण्टा, पोटा भिस्सटया छटा ॥ ३१ विष्ठा मञ्जिष्ठया काष्ठा, पाठा शुण्डा गुडा जडा। बेडा वितण्डया दाढा, राढा रीढाऽवलीढया ॥ ३२ घृणोर्णा वर्वणा स्थूणा, दक्षिणा लिखिता लता। .. तृणता त्रिवृता त्रेता, गीता सीता सिता चिता॥ ३३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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