Book Title: Aalappaddhati
Author(s): Devsen Acharya, Bhuvnendrakumar Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ मिथ्या मान्यताओं के कारण धर्म और समाजके क्षेत्र में पंन्थ दल गुट या वाद बनते हैं और पनपते है । . इन सब मिथ्या मान्यताओंका निराकरण करनेके लिये मोक्षमार्ग में यथार्थ कारण भूत द्रव्य उनके गुण स्वभाव पर्यायोंका तथा लक्षण प्रमाण नय निक्षेपादि का ज्ञान करानेके लिये आचार्य देवसेनने इस 'आलाप पद्धति' ग्रन्थ की रचनाकी हैं। इस ग्रन्थ के आरम्भमेंही मंगला चरण करते हुए प्रतिज्ञा वाक्य रूपमें वे स्वयं लिखते हैं कि भगवान महावीर स्वामी को नमस्कार करके गुणोंका स्वभावों का उसी प्रकार पर्यायोंका वर्णन विशेष रूपसे विस्तार पूर्वक करूंगा । साथ आलाप पद्धति वचन रचना (बातचीत) की परिपाटीके अनुसार नय चक्र ग्रन्थके आधार पर द्रव्योंके लक्षणोंकी सिद्धिके लिये स्वभाव की सिद्धि के लिये इस ग्रन्थ की रचनाकर रहा हूं । अपनी इस ग्रन्थ की रचना की प्रतिज्ञा नुसार आचार्य देवसेनने विस्तारसे संस्कृत भाषामें द्रव्यादि सोलह अधिकारों द्वारा इस ग्रन्थ का निर्माण कर भव्य जीवोंका महान् उपकार किया हैं। ग्रन्थान्तर्गभित सोलह अधिकार निम्न प्रकारसे है- १ द्रव्य, २) गुण ३) पर्याय ४) स्वभाव ५) प्रमाण ६) नय ७) गुण व्युत्पत्ति ८) पर्याय व्युत्पत्ति ९) स्वभावव्युत्पत्ति १०) एकान्त पक्ष दोष ११) नय योजना १२) प्रमाण लक्षण १३) नय व्युत्पत्ति १४) निक्षेप व्युत्पत्ति १५) नयभेदोकी व्युत्पत्ति और १६) अध्यात्मनयोंका स्वरूप । यह सम्पूर्ण रचना सरल अथ गंभीर सूत्रोंद्वारा संक्षेप में की गई है। यदि विस्तार से इनकी व्याख्या और टीका को जावे तो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 168