Book Title: Aalappaddhati
Author(s): Devsen Acharya, Bhuvnendrakumar Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

View full book text
Previous | Next

Page 168
________________ - ग्रंथकर्ता परिचय - आलापपद्धतिके अंतमे 'इति सुखबोधार्थ मालापपद्धतिः श्रीमद्देवसेनविरचिता परिसमाप्ता" इस प्रकारका पाठ है। इससे यह ग्रंथ देवसेनसूरिकृत है यह निश्चित हो जाता है / तथा ग्रंथ के आदिमें आलापपद्धतिर्वचनरचनानुक्रमेण नय चक्रस्योपरि उच्यते / " ऐसा पाठ है इससे भी प्रतीत होता है कि यह ग्रन्थ स्वयं देवसेनसूरिने बनाया है / यद्यपि आलापपद्धतिमे केवल नयोंका ही वर्णन नहीं है किंतु गुण, स्वभाव, पर्याय, प्रमाण और निक्षेपादिका मी वर्णन है तो भी नयचक्रमे जिस प्रकार नयों का वर्णन है ठीक उन्होंका प्रतिबिम्बरुप आलापपद्धतिका नयवर्णन प्रकरण समझना चाहिए यही एक ऐसा प्रमाण है कि जिससे नयचक्र और आलापपद्धतिके देवसेनसूरिमें कुछ भी अंतर नही रहता है। alion International For Private & Personal Use Only www.jan o rg

Loading...

Page Navigation
1 ... 166 167 168