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( ५० )
आलाप पद्धति
अथ आगम भाषासे द्रव्याथिक-पर्यायाथिक भेद वर्णन.
नैगम नयके भेद नैगम नयके ३ भेद है १ भूत नैगम, २ भावि नैगम, ३ वर्तमान नैगम.
अतीते वर्तमानारोपणं यत्र स भूतनैगमो! यथा- अद्य दीपोत्सव दिने श्री वर्धमान स्वामी मोक्षं गतः ।। ६५ ॥
अतीतं सांप्रतं कृत्वा निर्वाणं त्वद्य योगिनः । एवं वदत्यभिप्रायो नैगमातींत वाचकः ।। १२ ।। णिवित्तदव्व किरिया वट्टण काले दु जं समाचरणं । तं भूदणइगमणयं जह अज्ज णिव्वुइदिणं वीरे ।।३३।।
जो नय अतीत क्रियामे वर्तमान का आरोप कर आज दीपोत्सव दिनको श्री महावीर भगवान निर्वाण को प्राप्त हुये इस प्रकार यह भूत नैगम नय द्रव्याथिक नय है।
भाविनि भतवत् कथनं यत्रस भाविनैगमो यथा अर्हन सिद्धः ।। ६६ ।।
भाविअवस्थाका भूतकालीन अवस्थाके समान कथन करना वह भाविनैगमनय है । जैसे अरहंत भगवानको आज सिद्ध कहना ।
णिप्पण्णमिव पजपदि भावियकालं णरो अणिप्पण्णं । अप्पत्थे जह पत्थं भण्णई सो भावि णईगमोत्तिणओ। ३५ ।
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