________________
( २० )
आलाप पद्धति
परिणमन होता है। उसीको प्रवचनसारमें अनेक द्रव्य पर्याय कहा है। वह परिणमन दो प्रकारका होता है । १ विजातीय द्रव्य व्यंजन पर्याय २ सजातीय द्रव्य व्यंजन पर्याय
१। विजातीय जीव और पुद्गल द्रव्यके कर्म-नोकर्म के साथ विजातीय द्रव्यव्यंजन पर्याय रूप परिणमन होता है। वह नर-नारकादि पर्याय रूप चार प्रकारका विजातीय द्रव्यव्यंजन पर्याय है।
२ ) सजातीय- दो अथवा उससे अधिक संख्यात असंख्या अनंत परमाणुओंके स्निग्ध रूक्षस्वभावके कारण जो परस्पर संबंध होकर स्कन्धरूप परिणमन होता है वह सजातीय विभाव द्रव्य व्यंजन पर्याय है।
३) विभाव गुण व्यंजन पर्याय- जीवके ज्ञानादि गुणोंका मतिज्ञान आदि तथा रागादि शुभ अशुभ भाव परिणमन विजातीय गुण व्यंजन पर्याय है।
४) पुद्गलके विजातीय गुण पर्याय- द्वयणुकादि स्कंधरूप पुद्गल द्रव्यके जो स्निग्ध रूक्ष शीत उष्ण स्पर्शादि गुणोंका परिणमन यह विभाव गुण पर्याय है।
उपज्जति वियंति य भावा णियमेण पज्जयणयस्स । दवट्टियस्स सव्वं सदा अणुप्पण्णमविणळें ॥
। जय धवल पृ. २४० ) पदार्थ पर्यायाथिक नयसे पर्याय रूपसे उत्पन्न होते है। और नष्ट होते है । परन्तु द्रव्याथिक नयसे द्रव्य सदा द्रव्य रूपसे ध्रुव रहता है । न उत्पन्न होता है न नष्ट होता है ।।
॥ इति पर्याय अधिकार ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org