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आलाप पद्धति
पर्याय का स्वभाव-विभाव परिणमन स्व-पर-सापेक्ष होता है पर्यायके २ भेद है। १ अर्थपर्याय २ व्यंजन पर्याय
अर्थ पर्याय- अर्थ पर्यायको ही गुण पर्याय कहते है। इसके २ भेद है। १ स्वभाव अर्थ पर्याय २ विभाव अर्थ पर्याय
१। स्वभाव अर्थ पर्याय- स्वभावके अनुरूप सदृश जो परिणमन वह स्वभाव अर्थ पर्याय है । यह स्वभाव अर्थ पर्यायरूप परिणमन जीवादिक सब द्रव्योंमें अपने अपने स्वभाव अनुरूप होता है । जैसे जीवका केवल ज्ञान.
२) विभाव अर्थ पर्याय- केवल जीव और पुद्गल इनके गुणोंका वैभाविक शक्ति के कारण अन्य द्रव्यके संयोग पूर्वक स्वभाव विरूद्ध परिणमन उसे विभाव अर्थ पर्याय कहते है। जैसे जीवके मतिज्ञान आदि क्षायोपमिकज्ञान.
२। व्यंजन पर्याय - गुणोंके समूहरूप द्रव्यका जो परिणमन उसे व्यंजन पर्याय कहते है। इसके भी २ भेद है। : स्वभाव व्यंजन पर्याय २ विभाव व्यंजन पर्याय.
१) स्वभाव व्यंजन पर्याय . जो द्रव्यका पर निरपेक्ष वभाव साक्षेप परिणमन उसको स्वभाव व्यंजन पर्याय कहते है।
जैसे जीवकी सिद्ध अवस्था पुद्गल की परमाणु स्वभाव व्यंजन पर्याय है।
२) विभाव व्यंजन पर्याय- दो द्रव्योंका संयोग निमित्त जो पर सापेक्ष द्रव्य पर्याय उसको विभाव व्यंजन पर्याय कहते है।
जैसे जीवको नर नारकादि पर्याय ( विजातीय विभाव व्यंजन पर्याय ) पुद्गलको स्कंधरूपपर्याय । सजातीय विभाव व्यंजनपयांय ।
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