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( ३८)
आलाप पद्धति
निश्चयनय रूप केवल द्रव्यरूप है। न केवल व्यवहार नयरूप पर्यायभेद रूप है। जीव द्रव्य तो द्रव्य-गुण-पर्याय स्वरूप अनेकान्तात्मक है। वह ज्ञानात्मक प्रमाण ज्ञानका विषय है । परन्तु वचनात्मक या ज्ञानात्मक नयज्ञानमे मुख्य गौणरूपसे पर्यायभेदरूप अवस्था रूपसेही ग्रहण या कथन किया जा सकता है।
इस प्रकार अनेकान्तात्मक वस्तुको अनेकान्तात्मक प्रमाण द्वारा तथा स्याद्वाद रूप नयज्ञान द्वारा जाननेकी या वचन द्वारा कथन करनेकी स्याद्वाद पद्धतिकाही दूसरा नाम आलाप पद्धति है ।
॥ इति प्रमाण अधिकार समाप्त ॥
नय अधिकार
तववयवाः नयाः॥ ३९॥
नयभेवाः उच्चते ।। ४० ॥ प्रमाणके अवयव नय है । नय के भेद कहे जाते है । णिच्छय व्यवहार णया मूलमभेया णयाण सव्वाणं । णिच्छय साहण हेदू दव्वय पज्जस्थिया मुणह ।।
(नयचक्र ) सब नयोंके मूल भेद दो है। १ निश्चय नय २ व्यवहारनय निश्चयनय की साधनाके कारणभूत हेतू दो नय है । १ द्रव्याथिक २ पर्यायाधिक
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