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आलाप पद्धति
५ ) एक प्रदेश स्वभाव- परमाणु-कालाणु एक प्रदेश
स्वभाव है । ( बहुप्रदेशी अखंड होनेसे एक प्रदेशी
भी उपचारसे कहे है। ६ ) अनेक प्रदेश स्वभाव- धर्म-अधर्म-आकाश जीव बहु
प्रदेशा अनेक प्रदेश स्वभाव है। पुद्गल स्कंध उप
चारसे बहुप्रदेशी है। ७ ) विभाव स्वभाव- जोव और पुद्गल विभाव स्वभाव है। ८ ) शुद्ध स्वभाव- सब द्रव्य उपाधि निरपेक्ष स्वतः सिद्ध
शुद्ध स्भाव है। ९) अशुद्ध स्वभाव- पर सापेक्ष सोपाधिभाव स्वभाव
विरुद्ध परिणाम अशुद्ध स्वभाव है। १० ) उपचारित स्वभाव- एक द्रव्यके स्वभाव का अन्य द्रव्य
सयोग वश दुसरे द्रव्यके स्वभाव में उपचार करना । जैसे कर्म संयोग वश जीवको मूर्त अचेतन कहना । आत्मज्ञ भगवान को सर्वज्ञका उपचार करना। जीव पुद्गलयोः एकविंशतिः ॥ २९ ॥
जीव और पुद्गल में पूर्वोक्त सामान्य स्वभाव ११ और विशेष स्वभाव १० मिलकर एक्कीस स्वभाव होते है।।
विशेषार्थ- जीव द्रव्यमें भी २१ स्वभाव कहे इससे स्पष्ट होता है कि जोवमें अचेतन स्वभाव और मूर्त स्वभाव संसार अवस्थामें रागद्वेषादि भावोंको तथा १४ गणस्थान १४ मार्गणा
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