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परमाणुद्वारा रोका गया सबसे छोटा हिस्सा प्रदेश है- प्रदेशोंसे युक्त भावको प्रदेशवत्व कहते हैं । अनुभव करना चैतन्य हैं चेतन के भावको चेतनत्व कहते हैं । अचेतन (अननुभव) के भाव को अचेतनत्व कहते है। मूर्त के भावको मर्तत्व और अमर्तके भावको अमूर्तत्व कहते है।
८) पर्याय व्युत्पत्ति
पर्याये क्रमवर्तीही होती हैं परिणमन करना ही उनका स्वभाव है। ये पहिले कह आये है कि धर्म, अधर्म, आकाश और काल द्रव्योंमें स्वभाव पर्याये ही होती हैं । किन्तु जीव और पुद्गल से विकारी अविकारी दोनों प्रकारका परिणमनं होनेसे उनमे स्वभाव तथा विभाव दोनों प्रकारकी पर्याय होती हैं । स्वभाव विभावरूपसे जो परिणाम करें उसे पर्याय कहते हैं । (पर्येनि परिणमतीणि पर्यायः) यह पर्याय की व्युत्पत्ति हैं।
९) स्वभाव व्युत्पत्ति
इस अधिकारमें द्रव्यों में रहनेवाले स्वभावोंका विस्तारसे विवेचन किया है । आलाप पद्धतिका यह अधिकार स्वभावोंके स्वरूपको प्रकट करने में अपनी विवेचन पद्धति की अनोखी विशेषता रखता हैं । वस्तु का 'स्व' अर्थात् अपने रूपसे रहना या वर्तन करना स्वभाव हैं । यहां अस्तित्वादि स्वभावोंकी हेतुपूर्वक सिद्धि की गई हैं जो स्वभाव एक दूसरे के विरुद्ध से लगते है उनका कारण पूर्वक विवेचन किया है। प्रथम अस्तित्व वस्तु की सत्ता का परिचायक होनेसे जो द्रव्य अपने स्वभावके लाभसे कभी च्युत नही होता है सदा अपने स्वभावमे स्थिर रहता है अतः अस्तित्व स्वभाव हैं" । इस प्रकार हेतुपूर्वक अस्तित्व स्वभाव की सिद्धि की
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