________________
प्रयोग काव्य को गैय तथा सरस बनाने के लिए किया है। कवि ने -मातडेऔर-बूझवि जाप अजाम-नादि टेकों का प्रयोग करके काव्य में लोक गान की संगीतात्मक नों का प्रयोग किया है जो काम को संगीत प्रथान बनाने में सहायता करती है। एक उदाहरण देसिप:.
राई सवि बोलावीयाए, भारतडे कोई मालिसिट पाउ वा रीता विचि बाहिसिई एमालतडे तेहनी डिसिकार
जितन करी निई जानीउपमाहतडे राजा जोइ अगि और शील की महिमा में कवि परत वाक्य के साथ काव्य समाप्त करता है:
शील तनु महिमा अप, मालहतो चोर पृथ्वीपति कीध नुवारा इतकीन बइए, मा मई कीधा अपराध
शील प्रमाणिई आपरिउए मा. लीपट श्री समक्ति विरति वारा इत अति करइए, मा. वे अभयात्रीव
शील महा पाए मा० ६. विषइ अमूल्या कर बास तमि वाकि रविउध, मा. राम डउ रती रमि
माउल महामए मातडे अर्नव मचिमि इस प्रकार कवि ने दोहा चौपाई और रास छन्द में पूरी रकना समाप्त की है। रमा का नाम से पुन धीर प्रशान्त वर्षमों की विविधता, होरपीबों की डाले और मामा की सरलता रमा की १५वीं शादी के उत्तराईका स्वस प्र ती पर है भाका रिक्या अधिक नहीं है, पर ा मन उपमा मक आदि अलंकारों का प्रयोग मा है। प्रति प्रतिलिपिकार ने पुम्पिका दे दी है:
रिलिहिशीला समाप्त || ५.याँ काष वि पड लोत्री पत्ने लिखित