Book Title: Aadikal ka Hindi Jain Sahitya
Author(s): Harishankar Sharma
Publisher: Harishankar Sharma

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Page 1005
________________ १९३७ १ और erses का मिलना सामान्यतः प्रत्येक देश के कथा और काव्य रूढ़ियों में सम्भव है। साथ ही हमारी कहानियों का अध्ययन करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया है। रे के लिए इन कथा परंपराओं की मावि काव्य कड़ियां भी काव्य में अतिनूतन, मौलिक तथा नए बाचावरण का दृष्टि कर काव्य के कथा सत्य को प्राणवान बनाती है। प्रत्येक काव्य मैवति कड़ियों में बडी के देशकाल का पूर्ण ध्यान रखा जाना चाहिए अन्यथा उनमें एक स्वाभाविकता नहीं जा सकती। विस्मयकारी मौलिक घटनाओं का सृजन, नवे वातावरण का निर्माण, विविध रूढ़ियों द्वारा कथा में उत्साह का प्रणयन तथा इन छोटी छोटी घटनाओं द्वारा काव्य की मुख्य संवेदना को बल मिल्नामादि सब बातें इन काव्य और कथा कड़ियों का प्रमुख लक्ष्य होता है। areकालीन जैन कृतियों में काव्य कड़ियों का अध्याय प्रारम्भ करने वाली पृष्त भूमि में प्राप्त सर्व प्रथम रचना- कथा सरित्सागर- है। साथ ही साथ चैन कथा को पंचतंत्र पार्वनाथ चरित, समारा दिल्यकडी, और देते है। जी के प्रसिदध विवान मारिय कुमारचरित मी ट्री ने सर्वप्रथम इन विषयों में उप क्या कहिय है। उनके अनेक तेल भी निक्क चुके है। पेपर में भी उनके बाद इन रूढ़ियों M1)The Motif is the smallest recognisable element that goes to omplete story. Sisiple-Dietenery of World Literature been fostered by recognition of teve complement ANA INGER. Its importance for compara.. tient material of a particular type is The Importance of the Type is to show the Le fum inte conventional elusters of oriental society Volume 36 page 52-54. In this regard are of prize technical h atuly of fiction more important than aver justified these may be when taken Bee Life & Stories of the Jain Saviors

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