Book Title: Aadikal ka Hindi Jain Sahitya
Author(s): Harishankar Sharma
Publisher: Harishankar Sharma

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Page 1048
________________ १९९ इस प्रकार अनुप्रास शैली मैफागु छेद प्रयुक्त हुआ है। फागु छंदों में लिखी जाने वाली अनेक काम संज्ञक कृतियां जंदूस्वामी फागु, नेमिनाथ फागु, रावणि पार्श्वनाथ फाट, परतेश्वर चक्रवर्ती फागु, नारीनिरास फागु, वसंतफागु स्थूलभद्र फागु आदि अनेक है।' वस्तुतः गेय तालवृत्त के रूप में यह देवी बंध खूब प्रयुक्त हुआ है। वर्णिक वृत्त र्मिक वृत्तों का प्रतिनिधित्व करने वाली रचनाएं त्रिभुवन दीपक, प्रबंध, रंगसागरनेमिका तथा विराट पर्व है। इनमें विराट पर्व (चालिसूरि द्वारा विरचित सं० १४७८) में खूब वर्मिक वृत्तों का प्रयोग हुआ है। त्रिभुवन दीपक प्रबंध art रंगसागर नेमिफागु में १ या २ ही वर्षिक वृत्त प्रयुक्त हुए | सम्पूर्ण काम fareed afle geतों का प्रयोग मिलता है। जिनमें कवि ने मिश्र वर्मिक कृत का भी प्रयोग किया है। ये वर्मिक वृत्त इस प्रकार प्रत्येक भाग प्रयुक्त हुए है: 發 ५५ भाग २ स्वागता भाग १ रथोधता भाग १ उपनादि भाग १ इन्द्रका भाग १ भा aafeet माग १ इवविलंबित माग १ माहिनी नाम र free a भाग २ १ भाग २ ३ भाग १ १ भाग २० पाम १ १८ भाग २ २ भाग २ ३ भाग १ १०१ १- प्राचीन काडा० पोमोठा वाडेवरा * 1 ३४ २ १९ ८२ ** १८३ वाद रिट वीज, बी० १८ ० ३५०६४ तथा ८-१

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