Book Title: Aadikal ka Hindi Jain Sahitya
Author(s): Harishankar Sharma
Publisher: Harishankar Sharma

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Page 1060
________________ अनुप्रासान चरण को भी कवि ने निवास है। (10) अढाइया अटेवा के ऊपर कवि ने Aft+) मात्रा का प्रयोग किया है। बैगा अति नूनन मौलिक ईद है। एक उदाहरण जिसमें पुरानी देशी का प्रयोग है देखिए: बन बंड मंडन अबंड बढो बली मलयानील पीडित जलउक्ली रक्ली चतुर दुबारित। विलसतई सवि अलेवनारि विम काजल भाति न धन देह बलि रिसीहरि नारित इस प्रकार रंगसागर मेमिका एक महत्वपूर्ण एंव कृति है। दूसरे शब्द साथ में नई पस्ति का एक चरण अनुप्रया बुक्स बना है। वोनों विषम चरण है अब कवि का पूरा मौलिक है।इस रचना में अक्षर बस गळविक्रीडित है तथा पथ साथ में संस्कृत के अंगों का भी प्रयोग है जिसमें संस्कृत के ही है। विद्याबिलास पवाडी: देखी बोका विभिन्न रामों सारा प्रचार व प्रयास कर पीसोका अपयन प्रस्तुत करने वाली विद्या विकास पवाको एक उत्कृष्ट हिन्दी जैन बना है। मिल्दा बिमाविलास पवाको ने देखी था रामों के विकास में एक नया अध्याय मोड़ा परिचयाक्ति th(a) विविध सी - योगा गोपाई और दो का देवी स्वम मिलता है। सवैया देसी गबह व पवाका मा बागका प्रबन्ध में इस सवैया का देशी कि tea मास देशी स्वरूप को पवाड़ा का है। विभिन्न रामो र म रमादेवी था लोक प्रचलित हैदों का विवि कार - मी- सवैया की देसी डाक मात्रा (+ )

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