Book Title: Aadikal ka Hindi Jain Sahitya
Author(s): Harishankar Sharma
Publisher: Harishankar Sharma

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Page 1063
________________ १०११ हिवउपह मालवी गह ७) कागड़ दिपिदिगि सिरि बन्लरी मप पाउनेउरी दोदो दिनी विविल रसात घुमर्ष पूर्वण पर धमकार रिमिकिमि रिमिकिमि किमिम कुसाल, कररि कररि करिषट पटताल परर मरर सिरि रिसाद पायडीर आलवी उनाव (१.५) (२) रामपy निषि भरि सोहम सुन्दरी रे जोई बालम बाट नींद म बाबा मयमले रे बिना सरल उचाट मुनि सानी लक्षविलास, बलि वाम विद्या विकास ममा विम पड़ीय मास, प्रधु परिलमन की बार इम वि प्रिय विक बोलावली मीही समापी बडी रे चैन नेवी काल दावामा जिप दीवारे कमल नित्या करवा सुणि मन मुगाबहरे माने विश बरपति बीसवार मोहन प्रिय मि बाप कति णि ७) राम रामगिरि इस बिलवंती ज्या व पनि बोर मिल अपूर बोमा मह पढ पोलिणार किन काफी महता बार मिनीवास पालि का बकाल नयर बार ई गई न लागी पार ||१४|| र नामपि मोडी पनि बधावी म सजन बढ़ावीउ ५ बरकम मिडावीर प (1)

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