Book Title: Aadikal ka Hindi Jain Sahitya
Author(s): Harishankar Sharma
Publisher: Harishankar Sharma

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Page 1069
________________ आधुनिक काल के कवियों में उत्तर अपक्ष से ज्यों की त्यों प्रहल की है। इस प्रकार पुरानी हिन्दी की इन आदिकालीन इतियों का परवर्ती हिन्दी साहित्य के तीनों कालौं- भक्तिकाल रीतिकाल तथा आधुनिक काल की काव्य पद्धतियों तथा दो में पुरे पूरे मों में देखा जा सकता है। निष्कर्षतः वे बड़े महत्व के इन कृतियों का छंद विस्यक अध्ययन स्वतंत्र शोध की अपेक्षा रखता है।

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