Book Title: Aadikal ka Hindi Jain Sahitya
Author(s): Harishankar Sharma
Publisher: Harishankar Sharma

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Page 1061
________________ २२-२७ दोडा मात्रा ( १३+११ ) २८ वस्तु 39-30 ३८-९५ ९६-११३ बस्तु, दोहा तथा चौपाई। दोहा और चौपाई मालवी गृह तथा पवाडु के विभिन्न प (१३) मात्रा अन्त में रमन और ए का प्रयोग। प का प्रयोग ही इसे देवी राम देश में गाये जाने के लिए परिवर्तित कर देता है। राग दूहों की देशी, के का प्रयोग विषमपदीत १२३-१४१ राम रामगिरि की चरपद, वस्तु। १४-१५४ सवैया कीदेवी राम भीम पलासी १५६-११२ हिव बधाननाम डाल राग देवा सवैया की देवी १६३-१८३ राग बसंत में सवैया की देवी। १८४-१८९ राम बसंत (काल) देशी ढालों में अपूर्व वैविध्य । १९०-२३९ चप प्रत्येक पद में १५ मात्रायें। एक मात्रा कम । दोहा- राम मालवी बस्तु राम सुंठ में गाये जाने वाला एक गीत परन्तु वह (१३ । ११) मात्रा के दूहे का ही रहता है। वि विवानर डाल। यह डाक प्रथम पाद की आवृति १४ १४ मात्राओं के संयोग और हर १४ मात्रा में अन्द्र में के प्रयोग से निर्मित होती है। ११४-११२ २०६-२८० 367-290 १०१२ १९८-२३३ ३४-३८४ राग देवान की मैया की देशी प्रयुक्त है।जयदेव के गीत गोविन्द मैं इस प्रकार की मिल जाती है। या १४+१३) मात्राओं का राग भीमपलासी में गया बाने वाला पवाड़ा। वस्तु, हिव बधामणानर ढाल, राम देवान, इस पद के (३+१३) मात्राओं के सार है भी गाया जाता है।

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