Book Title: Aadikal ka Hindi Jain Sahitya
Author(s): Harishankar Sharma
Publisher: Harishankar Sharma

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Page 1064
________________ (५) (६) १०१५ भीम पलासी गयवर गुड़िया रथ बारबरिया सुडे लीया सनाढ माही माई बाई काटकवाes रुचि प्रवाह । ११४९ । । विद्या० मारि महरि कहती इक उठई कंपाविर करवाल रोसि बडिया राउत कई जिमजेता विकराल | ११५० || विद्या० हिव बधामणान डालराग देवा ।। कोणी नगरी ती वरनारी है रंग घरे वि उलट जावई मापनि मनि मोतीय थाल मरेवि उनी पुरि सोडिला सार ।।१५६|| aft मलिया प लोक अपार वियाविलास बधावीइ च माहीन िजस अवतार जिनि बगि नाम रहाविर में सुरजes के जय जय जयकार पीडित ||१५||कणी ॥ इसी प्रकार अनेक रागें और भी है उदाहरणार्थ पवाड (सवैया की देवी, कपड air दोहा होता कादेवी प्रयुक्त हुई है। इस प्रकार विमाविलास पवाडी देवीदों का रामों से समन्वय प्रस्तुत करने वाली सबसे महत्वपूर्ण कुटि है। : सरसरन्छ कटावली : १५वीं बाद में छेदों के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अंतिम कृति सोमकुंजर कृत ग्रन्थ सररमच्छ पट्टावली है। रचना में इरपक पद के ऊपर इरिमीतिका औरों के विकास में बरगच्छ पट्टावली का भी महत्वपूर्ण योग है।रामों को माध्यम बनाकर कवि में विविध देवी छेदों का अनुक्रम किया है: प्रथम की धवल राम धन धन दिन शाल, पातक नाका, त्रिभुवन सुरबरं गगहर वसमत व बार गंगाजल निरम ममिले महगड | ॥१॥

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