Book Title: Aadikal ka Hindi Jain Sahitya
Author(s): Harishankar Sharma
Publisher: Harishankar Sharma

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Page 1052
________________ इसके लक्षणहै. वर्ष ११.प्र. (र०न. रल.गु.) (माराच भाषा rasनिंदा पुरकर बागइन काइ बोला वी सावल धीर यह नितु बाइ करिकर बध काल सम्म लाग्यो दान मागि वीर पवारिवि दीनी मातीवि इमल कर बाग ४) इसके साप है। वर्ष प्र. () ( बर्दध नाराब ईसा मनी बा बइमी का पलाय मोडी आगर देखा पैरवत कतगत नाह माया पर भारी सर कहा कसा करायर ठी रोवालि मान्नु पादेड मराट' इन वोतिरिक्व इन्द्रबत्रा, उपेन्द्र बना शाईफिीडित, मौक्तिकदाम, अनुष्टुप लोक, सरस्वती थबल आदि वनवृत्त प्रयुक्त हुए हैं। प्रमुख संदों के उदाहरण दे दिए गए है। -रामोंटीमा उनका विकास करने वाली पात्वपूर्ण दिया मात्रिक और बालों में अनेक व ऐकि इन जैन कवियों ने अपनाया या अनेक देशी बों को रायों के आधार पर रखा गया है। देखी दों के विकास का यह प्रयास द्वारा परम मा मा पाइन बों में मेवा होने से विकिमा समावेश होखा संगीत प्रत्यकी परिपुष्टि होने के कारण इस away का मीट की मोषदाम या गीत की रोध में विष पीनी मिलोसमीकमीठों की लियों में अनेकरामों - - - -am- TE- वित्त चउबई जैन शेष संस्थान, जयपुर में संग्रहीत प्रति।

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